नाव रेस के बारे में 10 तथ्य

नाव रेस के बारे में 10 तथ्य: यूनाइटेड किंगडम में देखने के लिए बेहद सुन्दर- सुन्दर जगह हैं। साथ ही यह घर है विश्व की उम्दा यूनिवर्सिटी

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नाव रेस के बारे में 10 तथ्य

नाव रेस के बारे में 10 तथ्य: यूनाइटेड किंगडम में देखने के लिए बेहद सुन्दर- सुन्दर जगह हैं। साथ ही यह घर है विश्व की उम्दा यूनिवर्सिटी कैंब्रिज का। तम्बुरलें होटल कैंब्रिज हर साल वार्षिक नाव रेस का आयोजन करता है और अपने मेहमान को इतिहास बड़े मजेदार ढंग से बताता है। इस रेस में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी बोट क्लब की टीम ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी बोट क्लब की टीम से जीतने का प्रयास करती है।

ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के बीच पहली नाव रेस 10 जून 1829 में हुई थी। साल 1856 से से यह हर साल हो रही है सिर्फ पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसे आयोजित नहीं किया गया था।

पहली रेस दो स्कूल के दोस्तों में एक चुनौती की वजह से हुई थी जिसमे एक कैंब्रिज का छात्र था और दूसरा आॅक्सफोर्ड का। पहले रेस कभी भी हो जाती थी लेकिन बाद में इसे वार्षिक स्पोर्टिंग समारोह बना दिया गया जो एक ही समय में हर साल होता है।

दोनों प्रतियोगी टीमें थेम्स नदी में 4.2 मील सेक्शन तक जाते है जिसे चैम्पियनशिप कोर्स कहा जाता है।

राष्ट्रीय टीम इसमें न होने के बावजूद भी ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के बीच की  नाव रेस को टीवी पर दिखाया जाता है और इसे करीब 15 मिलियन लोग देखते है।

1912 में यह रेस बहुत बुरे मौसम में हुई थी और दोनों प्रतियोगियों की बोट पानी भरने के कारण डूब गयी थी। ऑक्सफोर्ड के इस रेस में आगे निकलने के बावजूद इसे अगले दिन के लिए टाला गया था।

1912 की रेस को जज जाॅन फेल्प्स ने डेड हिट घोषित किया था और दोनों में से कोई टीम नहीं जीती थी। कई लोगों को लगा था की फेल्प्स ने गलती की है।

हालाँकि मुख्य दिन के दौरान ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के पुरुष टीम के बीच प्रतियोगिता होती है लेकिन उससे पहले महिलाओं की टीम की भी प्रतियोगिता होती है।

अभिनेता हघ लाॅरिए ने 1980 में कैंब्रिज टीम की तरफ से रेस में हिस्सा लिया था। नौकायन उनके परिवार में चलता आ रहा है क्योंकि उनके पिता ने 1934 से 1936 के बीच हुई रेस में भाग लिया था।

2012 में रेस को दोबारा शुरू करना पड़ा क्योंकि देखने वाले ट्रेंटन ओल्डफील्ड जानबुझ कर दोनों टीमों को रोकने के लिए नदी के बीच में कूद गए थे। रेस को सुरक्षा के लिए रोक दिया गया था और दोबारा शुरू किया गया था।

सिक्के को उछालकर तय किया जाता है की कौनसी टीम किस साइड पर रेस करेगी। टीमों को या तो नदी के मिड्ल या फिर सभी साईड पर रेस करने का मौका दिया जाता है। हर साइड के अपने फायदे और नुकसान है।