आपको लगता होगा की कबड्डी और खोखो की तरह कैरम (Carom) भी सिर्फ भारत में खेले जाने वाला एक और खेल है। लेकिन ऐसा नहीं है, कैरम का खेल साउथ ईस्ट एशिया में भी फैला हुआ है और इसकी कई अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियन भी खेली जा चुकी है।
(Golf History in Hindi) इसका निश्चित इतिहास ज्ञात नहीं है। कुछ इतिहासकार बताते है। कि यह खेल लगभग 17वी शताब्दी में इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में खेला जाता था। इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ी। सन् 1920 में यह अमेरिका में लोकप्रिय हुआ। बाॅबी जोंस नामक एक अमेरिकन खिलाड़ी ने कई नए प्रकार के शाॅट्स का अविष्कार किया।
थेरेसा वेल्ड ब्लन्चर्ड ने स्केटिंग (Skating) में कई उपलब्धियाँ हासिल की है। वह 1914 की यू एस नेशनल की पहली चैंपियन थी और उन्होंने 1920 में ओलंपिक स्केटिंग मैडल में यू एस के लिए कांस्य पदक जीता था। उन्होंने अपने साथी नथानिएल नील्स के साथ यूएस जोड़ी प्रतियोगिता में नौ बार जीत हासिल की।
मल्लखम्ब (Mallakhamb) एक प्राचीन पारम्परिक भारतीय खेल हैं, जिसमे मल्ला मतलब व्ययामि होता है और खम्ब मतलब छोर होता है। इसलिए मल्लखम्ब का मतलब व्ययामि छोर होता है। सबसे पहले मल्लखम्ब का जिक्र 21 वी सदी में किया गया था
आइस स्केटिंग (Ice Skating) वो खेल है जिसमे बर्फ की चकिनी सतह पर स्टील ब्लडेड स्केट्स की मदद से फिसलते हैं। दुनिया भर के ठन्डे देशों में यह खेल बेहद प्रसिद्द है। कई लोग आइस स्केटिंग को व्यायाम के रूप में करते हैं, यह एक अंतराष्ट्रीय स्तर का खेल है। आइस हाॅकी खेलने के लिये भी आइस स्केटिंग में निपुण होना जरूरी है।
कबड्डी के जैसे ही खो खो भी भारत का एक अनोखा खेल है। यह मनुष्य की क्षमता मापने का सबसे बढ़िया खेल है और साथ ही यह मजेदार भी है। आइये इस खेल के बारे में और अनोखी बातें जानते है।
साइकिल चलाने को पहले माॅडर्न ओलिंपिक खेलों में शामिल किया गया था लेकिन 1984 तक इस समारोह में महिलाओं को हिस्सा नहीं लेने दिया जाता था।
ओलिंपिक का माॅडर्न मुड़ा हुआ धनुष बेशक हाई-टेक लगता हो, लेकिन उस डिजाईन पर आधारित हैं, जो 3500 साल पहले बना था । एक धनुषधारी को टाॅक्साॅफेलिट भी कहा जाता है। यह शब्द ग्रीक के दो शब्दों से आता हाई, जिसका मतलब धनुष का प्रेमी होता है।
ध्यानचंद को अब तक का सबसे अच्छा हाॅकी खिलाड़ी माना जाता है। उनके गोल को स्कोर करने की क्षमता बहुत बढ़िया थी और दूसरी टीम के डिफेंडर भारत के इस खिलाड़ी के सामने महज बैठी हुई बतख की तरह लगते थे।