बाल कहानी : एक बार की बात है, एक राजा था। वो बड़ा ही क्रोधी स्वभाव का था। जरा जरा सी भूल पर वो हर किसी को कड़ी से कड़ी सजा सुनाता था। उसकी सजा का ढंग भी बड़ा अनोखा था। उसने एक दर्जन खूंखार कुत्ते पाल रखे थे। जब भी राजा किसी को दंड देने का निर्देश देता तो उसे कुत्तों के आगे धकेल दिया जाता था।
बाल कहानियां : वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते है जो खाने के लिए जिंदा रहते है। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे।
बात तब की है जब हम मेरठ में रहते थे। मैं छठी कक्षा में पढ़ता था और पेटूनंद जो मेरी ही कक्षा में पढ़ते थे। बड़ा ही मजेदार व्यक्तित्व था उनका, एकदम ड्रम जैसा गोल धड़, ऊपर अंडाकार खोपड़ी, मुंडा हुआ सिर और उस पर चुपड़ा कड़वा तेल।
अब्राहम लिंकन का नाम दुनिया के सफलतम व्यक्तियों में गिना जाता है। लिंकन ने लगातार असफल होने के बावजूद लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहते हुए सफलताएं अर्जित की। सन् 1831 में लिंकन अपने व्यापार में विफल हुए। सन् 1832 में वे विधायिका के चुनाव में पराजित हुए। सन् 1883 में वे व्यापार में दूसरी बार असफल हुए।
ज्ञान देती एक कहानी : बेटे राजीव के एमबीए परीक्षा का रिज़ल्ट आने वाला था। सुबह से मां इंतज़ार कर रही थी कि कब बेटा परीक्षा परिणाम लेकर घर आए। माँ ने उपवास भी रख लिया और भगवान के सामने मन्नत भी मांग ली कि अगर बेटा अच्छे नंबरों से अपनी एम बी ए की परीक्षा पास कर ले तो वो और तीन दिन का उपवास रख लेगी।
बाल कहानी : एक गांव में पिंकू नाम का एक लड़का रहता था जिसे तरह-तरह के चॉकलेट्स बहुत पसंद थी। उसकी नानी यह बात जानती थीं और अक्सर पिंकू को अपने घर में स्वागत करने के लिए ढेर सारे चॉकलेट्स देती थीं। गर्मियों की छुट्टियों में एक बार जब पिंकू अपनी नानी के घर गया तो नानी ने उसे खूब सारे चॉकलेट्स दिए। पिंकू बड़ा खुश हुआ
एक दिन अननु अपने पिता के साथ अपनी मौसी से मिलने जा रही तीजो की उत्तरी दिल्ली मए रहती है। तभी अननु को एक बड़ा सा पहाड़ दिखा ।
अननु: पापा प्लीज देखिये, इतना बड़ा पहाड़। क्या दिल्ली मे भी पहाड़ होते हैं?
पापा: नहीं अननु, यह उस तरह का पहाड़ नहीं है जैसा हमने शिमला मए देखा था। यह कचरे का पहाड़ है।
अननु: क्या, कचरे का पहाड़?वो क्या होता है पापा
पापा: कचरे का पहाड़ यानि…चलो एक काम करते हैं, मे आपको अपने एक दोस्त के पास ले चलता हूं जों वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी DMSWSL मे ही काम करते हैं, वो आपको एस बारे मे बेहतर बता पाएंगे।
अननु: वे कौन हैं पापा?
पापा: उनका नाम श्री डी पी सिंह है। वह डीएमएसडबल्यूएसएल मे उपाध्यक्ष के पद पर हैं।
अननु: ओके पापा। यह जानकारी तो बहुत ही रोचक होगी। कचरे यानि कूड़े का पहाड़।
डीएमएसडबल्यूएसएल के ऑफिस मे
डी पी : ओह वैल्कम सिंधु जी । साथ मे शायद आपकी बिटिया हे?
पापा: हाँ, डीपी । हम भलसवा की तरफ से गुजर रहे थे तो मेरी बेटी ने लैंडफ़िल याने इसकी भाषा मे कूड़े का पहाड़ देखा । ये इसके बारे मे जानने को उत्सुक थी। मैने सोचा भला एसके बारे मए आपसे बेहतर कौन बताएगे इसलिए आपसे मिलने का समय लिया। धन्यवाद की आपने अभी समय दे दिया।
डीपी: ठीक है सिंधु। सौभाग्य से मे कार्यालय मे ही था और सभी मीटिंग्स लंच के बाद ही थी।
डीपी सिंह अननु के तरफ देखते हैं और कहते हैं,
डीपी: जैसा की अपने कहा था यह कचरे का पहाड़ है। लेकिन क्या आप जानते हैं की यह कचरा वह ही कचरा है जो आप फेंक देते हैं और एमसीडी की गाड़ी उसे ले के जाती है।
अननु: ऐसा है क्या? लेकिन ये पहाड़…
डीपी: बताता हूँ, ध्यान्न से सुनो। हम घर या अनय जघो पर जो कचरा उत्पन्न करते हैं , उसे दो श्रेणियों मे बता जाता है।म्सूखा कचरा और गीला कचरा। गीले कचरे मिस्टर पका और कच्चा भोजन, फलों और फूलों का कचरा , गिरे हुए पत्ते आदि शामिल हैं। दूसरी और प्लास्टिक, रबर, धातु, चमड़ा, कपड़े के चीथड़े, तार, काँच आदि सूखे कचरे की श्रेणियों मे आते हैं। घरेलू कचरे के एक और श्रेणी है, घेरलु खतरनाक कूड़ा जिसमे पैंट, , सफाई के सामान, सोलवेंट, कीटनाशक, चेमिकल्स, दवाइयाँ, सुइयां, थेरमामिटर, कॉस्मेटिक्स आदि शामिल हैं।
अननु: हाँ सिर, हमारे स्कूल मे भी मेडम ने बताया था। लेकिन इतने विस्तार से नहीं । कृपया मुझे और बताए।
डीपी: हाँ, क्यों नहीं। अभी तो कचरे का सफर शुरू ही हुआ है। लेकिन समस्या यह है की दिल्ली मे स्टीथ तीनों लैंडफ़िल अपने क्षमता से अधिक भर चुके हैं और एस लिए एक बड़े पहाड़ का रूप ले रहे है। हम सब का प्रयास हे की हम एस पहाड़ को कम करे।
अननु: वो कैसे सर?
डीपी: घर के कचरे को घर पर ही गीले और सूखे मए अलग अलग कर दे। सूखा तो रीसाइकल हो जाता हाई और गीला कचरे से खाद और बिजली बनती है। सरकार द्वारा स्थापित अपसीष्ट प्रभन्धन नियम 2016 है जिसका पालन सभी को करना होता है।
हमारे घरो से कचरा घर के नजदीक मे स्थित कॉम्पैक्टर मे आता है। यहाँ गीले कूड़े मे से सूखा कूड़ा अलग करके डाला जाता है। सूखे कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए भेज देते हैं , और गीला कूड़ा आगे की प्रक्रिया के लिए प्लांट मे भेज देते हैं। प्लांट मे फिर इस कचरे को प्रोसैस करके इसका कुछ हिस्सा खाद बन जाता है और प्रिकरिया के दौरान ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे बिजली बनाई जाती है, यही कारण है की एस प्लांट को डबल्यू॰टी॰ई॰ कहा जाता है यानि वेस्ट टु एनर्जि।
अननु: अररे वह….फिर तो यह कचरे का नहीं दौलत का पहाड़ है। कचरा बेकार है जब तक घर मे है लिकिन अगर ठीक से अलग अलग होकर प्लांट तक पाहुच जाये तो बहुत काम की चीज़ है। मे तो आज से ही मम्मी से कहूँगी की घर मए गीले और सूके को अकग अलग करके ही मुनीकीपले की गाड़ी वाले को दे।
डीपी: एक दम सही बात।
अननु: थैंक यू सर। अपने तो आज मेरा कचरे को देखने का नज़रिया ही बदल दिया।
पापा: वास्तव मे, डीपी। आज तो मुझे भी कई नयी बातों की जानकारी मिली है। थैंक यू । और पिता
और फिर पिता और बेटी अपनी मौसी के घर को चल देते है।
Holi Story : अमु एक बार फिर मां का पल्लू पकड़कर खींचने लगा ।‘मां, सुनो ना, रेलगाड़ी तो आ गई है ना ।मेरे भैया कब आयेंगे?’ बस आते ही होंगे कहकर मां ने अमु को प्यार से समझाया। अमु अब चैथी कक्षा में आ गया था और मां ने उसे अनुमति दे दी थी कि भैया अपने छात्रावास से आ रहे है ।वो इस बार उनके साथ होली खेलने कालोनी मे भी जा सकता है साथ ही भैया के दोस्तो के साथ भी खेल सकता है । तभी बाहर आटो रिक्शा रूकने की आवाज सुनाई दी। अमु उछल पडा।
अमन का आलस: अमन आजकल बहुत ही आलसी हो गया था ।इससे पहले वो कभी भी ऐसा नही करता था ।अमन की शिक्षिका ने उसे एक दो सप्ताह तक गौर से देखा ।वो हैरान ही रह गई थी। अमन अब पांचवी कक्षा में पढता था और वो अमन को चार साल से ही इसी स्कूल में लगातार देख रही थी। कोई खेल की प्रतियोगिता होती तो अमन सबसे पहले भाग लेता ।इतना ही नही खेल मैदान में सबको पानी भी पिलाता था ।अमन हर तरह की क्विज मे भी शामिल होता था ।चाहे वो विज्ञान की क्विज हो या समाज विज्ञान की क्विज। वाद विवाद में भी अमन पूरी तैयारी के साथ आता था ।
प्रेरणादायक कहानी; बहुत पुरानी कहानी है, एक गांव में एक बुढ़ी अम्मा रहती थी जो माँ दुर्गा की अनन्य भक्त थी। । उन्हें आँखों से दिखाई नहीं देता था लेकिन वे सारा दिन मंदिर में, माँ दुर्गा की भक्ति आराधना में लीन रहती थी। उनकी भक्ति और निष्ठा देखकर आखिर माँ दुर्गा प्रसन्न हुई और एक दिन बूढ़ी अम्मा के सामने प्रकट होकर बोली, “मैं आपकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ, इसलिए आपको वरदान देना चाहती हूँ, लेकिन आप मुझसे सिर्फ एक वरदान माँग सकती हैं।”
पॉजिटिव थिंकिंग उसे कहते है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कुछ अच्छा सोच लेकर आए। कभी कभी हमारे सामने ऐसी चुनौतियाँ खड़ी हो जाती है जो हमें तन और मन से परेशान कर देते हैं और ऐसा लगता है जैसे हम ऐसी स्थिति में टूट कर बिखर जाएंगे या मर जाएंगे। लेकिन अगर हम थोड़ा प्रयास करे और अपने अंदर एक पॉजीटिव सोच ले आएँ तो बड़ी से बड़ी चुनौती और संघर्ष पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकते हैं तथा नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदल सकते है।