Moral Story: कच्चा-पक्का
संत दादू दयाल अपनी सादगी और सहनशीलता के लिए सर्वत्र विख्यात थे। एक बार एक थानेदार घोड़े पर सवार होकर उनके दर्शन को चल पड़ा। संत दादू फटे-पुराने वस्त्र पहने एक पेड़ की छाया में बैठे कुछ काम कर रहे थे।
संत दादू दयाल अपनी सादगी और सहनशीलता के लिए सर्वत्र विख्यात थे। एक बार एक थानेदार घोड़े पर सवार होकर उनके दर्शन को चल पड़ा। संत दादू फटे-पुराने वस्त्र पहने एक पेड़ की छाया में बैठे कुछ काम कर रहे थे।
देवर्षि नारद को अभिमान हो गया कि उनसे बड़ा भक्त त्रिलोक में कोई नहीं है। एक दिन वह भगवान विष्णु से पूछ बैठे, ‘भगवान, आपका सबसे बड़ा भक्त कौन है।’ भगवान नारद के मन की बात ताड़ गए।
कई वर्ष पूर्व सर्दियों की एक शाम इंगलैंड के पश्चिमी तट पर किसी जगह मछुआरों के एक छोटे से गांव को तूफान का प्रकोप झेलना पड़ा। वर्षा और आंधी में जैसे मुकाबला छिड़ा हुआ हो।
बहुत समय की बात है एक जंगल में एक छोटा सा गांव था। गांव में ब्रह्म दत्त नाम का एक आदमी रहता था। उसके घर के पिछवाड़े एक पहाड़ी थी। ब्रह्म दत्त का कृष्णा दत्त नाम का एक लड़का था।
गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से खुल गये थे। राम जो कि अपनी कक्षा में हमेशा सर्व प्रथम आता था। हर साल की तरह इस बार भी सर्व प्रथम आकर अगली कक्षा में चला गया था।
वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते हैं जो खाने के लिए जिंदा रहते हैं। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे।
किसी गांव में एक किसान रहता था, उसकी एक सुन्दर बेटी थी। दुर्भाग्यवश, गांव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था। जमींदार बूढ़ा था। किसान की सुदंर बेटी को देखकर उसे उसके साथ विवाह करने की इच्छा हुई।