(Golf History in Hindi) इसका निश्चित इतिहास ज्ञात नहीं है। कुछ इतिहासकार बताते है। कि यह खेल लगभग 17वी शताब्दी में इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में खेला जाता था। इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ी। सन् 1920 में यह अमेरिका में लोकप्रिय हुआ। बाॅबी जोंस नामक एक अमेरिकन खिलाड़ी ने कई नए प्रकार के शाॅट्स का अविष्कार किया।
कुछ इतिहासकारो के अनुसार यह खेल 19वी शताब्दी में चीन में खेला जाता था। यहाँ इस खेल को पेगानिका के नाम से जाना जाता था। अन्य इतिहासकारो के अनुसार गोल्फ 16वी शताब्दी में बर्फ पर खेला जाने वाला खेल था और इसे ‘कोल्फ’ के नाम से जाना जाता था। भारत में यह खेल अंग्रेजो के साथ आया।
गोल्फ का मैदान
गोल्फ खेलने का मैदान काफी लंबा-चैडा और समस्त मैदान हरी-हरी घास से भरा होता है। यह मैदान गोल्फ कोर्स कहलाता है। इसमे जगह-जगह कई गड्ढे बने होते है, जिनके अलग-अलग अंक होते है। खिलाड़ी को इन गड्ढों में गेंद डालकर अंक प्राप्त करने होते है। गेंद को लकड़ी या धातु कि बनी एक छड़ी से हिट किया जाता है, जिसे ‘क्लब’ कहा जाता है।
यह छड़ी नीचे से कुछ कोणों पर मुड़ी रहती है। इन कोणों के आधार पर ही इन क्लब को विशेष-विशेष नाम दिए गए है। क्लब निम्नलिखित प्रकार व आकार के होते है-
गोल्फ की जानकारी
गेंद- प्रत्येक खिलाड़ी को चार-चार गेंद दी जाती है। इन गेंदों को बार-बार हिट करके गड्ढों में डाला जाता है। ऐसा करने से अंक अर्जित किए जाते है।
गोल्फ कोर्ट- यह एक प्रकार कि ट्राली होती है, जिस पर गोल्फ खेलने का संपूर्ण सामान रखा जाता है, क्योंकि गोल्फ का मैदान काफी लंबा-चैडा होता है। अतः सामान को मैदान के प्रत्येक हिस्से में ले जाने के लिए इस वाहन का प्रयोग करना पड़ता है।
सहायक- गोल्फ कोर्ट सहायको द्वारा खींची जाती है। दो सहायक इस काम के लिए लगाए जाते है। इन्हे खिलाड़ियो के साथ-साथ ही चलना पड़ता है।
रेफरी- इस खेल का परिणाम घोषित करने के लिए केवल एक रेफरी होता है। यह अपना निर्णय दोनों सहायको की सहायता से करता है।
फाउल- यदि किसी खिलाड़ी द्वारा गेंद हिट किए जाने पर गेंद गुम हो जाती है, तो उस खिलाड़ी के अर्जित अंक समाप्त मान लिए जाते है। पुनः नई गेंद लेकर उस खिलाड़ी को अपने अंक आरंभ से बनाने पड़ते है।