होली का इतिहास : ‘पुराण’ शब्द का उद्गम संस्कृत के ‘पुर नव’ शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है ‘जो नगर में नया है’। पुराण तथ्यों बातों को नए ढंग से प्रस्तुत करने का तरीका है। यह रंग-बिरंगी कथा-कहानियों से परिपूर्ण ग्रन्थ है। सतह पर तो ये कहानियाँ काल्पनिक लगती हैं परन्तु वास्तव में इनमें अति सूक्ष्म सत्य है।
एक असुर राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें। परन्तु उसका अपना ही पुत्र ‘प्रहलाद’ उस राजा के घोर शत्रु भगवान नारायण का परम भक्त था। इस बात से क्रोधित राजा अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद से मुक्ति चाहता था। अग्नि में भी न जलने की शक्ति प्राप्त होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में ले कर जलती हुई आग (चिता) में बैठ गई। परन्तु इस आग में होलिका स्वयं जल गई और प्रहलाद आग में से सही-सलामत बाहर निकल आया।
यहाँ हिरण्यकश्यप बुराई का प्रतीक है और प्रहलाद निश्छलता, विश्वास एवं आनंद का। आत्मा को केवल भौतिक वस्तुओं के प्रति ही प्रेम रखने के लिए ही सीमित नहीं किया जा सकता। हिरण्यकश्यप भौतिक संसार से मिलने वाला समस्त आनंद चाहता था, पर ऐसा हुआ नहीं। किसी जीवात्मा को सदा के लिए भौतिकता में कैद नहीं रखा जा सकता। इसका अंततः अपने उच्चतर स्व अर्थात नारायण की ओर बढ़ना स्वाभाविक है।
होली मनाने का कारण
- आप सभी को शायद पता होगा की भारत में बृज, मथुरा, वृन्दावन और बरसाने की लट्ठमार होली व श्रीनाथजी, काशी आदि की होली बहुत ही प्रसिद्ध है।
- ऐसा भी माना जाता है की होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोगो को शिव के गणों का वेश धारण करना होता है।
- ऐसा मान लिया जाता है की इस दिन अधिकतर लोग आपसी दुश्मनी भुलाकर होली के दिन गले लगाकर एक दूसरे के दोस्त बन जाते है। यह त्योहार आपसी प्रेम की निशानी है।
- कुछ लोगों का यह भी कहना हैं कि भगवान कृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी खुशी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था इसी कारण बृज में होली की बहुत मान्यता है।
- पहले दिन होलिका को जलाया जाता है। जिसे होलिका दहन भी कहते है।
- बादशाह अकबर भी जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर नूरजहाँ के साथ होली खेलते थे।
- भारत के कई हिस्सों में आज भी खेले खाने वाली होली पाँच दिन तक मनाई जाती है।
- यह त्योहार फाल्गुन महीने में आता है जिस कारण कई लोग इसे फाल्गुनी भी कहते है।
- यह भारत के अलावा नेपाल और अन्य भारतीय प्रवासी देशो में धूमधाम से मनाया जाता है।
- रंगो का यह त्योहार प्रमुख रूप से दो दिन तक मनाया जाता है।
- लोग इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाते है।
- लोगो को होली में रंगों का सही ढंग से उपयोग करना चाहिए. केमिकल से बने रंगों से हमेशा बचना चाहिए। और केवल हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।