Rakhi Festival : राखी के त्यौहार का इतिहास

Rakhi Festival: हिन्दू त्यौहारों का स्त्रोत हिन्दू ग्रन्थ और धर्म है। बल्कि आपको हिन्दू परम्पराओं और संस्कृति के बारे में उनके धार्मिक ग्रंथो से पता चल

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History of Rakhi festiva

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Rakhi Festival: हिन्दू त्यौहारों का स्त्रोत हिन्दू ग्रन्थ और धर्म है। बल्कि आपको हिन्दू परम्पराओं और संस्कृति के बारे में उनके धार्मिक ग्रंथो से पता चल जायेगा। राखी की शुरूआत भी हिन्दू धर्म से ही है। हालाँकि राखी के त्यौहार के इतिहास में इसकी सही तारीख और समय तो नहीं पता लेकिन इसकी कहानियां कई है। पत्नी द्वारा अपने पति को धागा बांधने की परंपरा से शुरू हुआ यह त्यौहार अब भाई बहन का त्यौहार बन गया है।

History of Rakhi festiva History of Rakhi festival

राखी का त्यौहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नजर आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी।

उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे।

उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। हालाँकि समय के साथ यह त्यौहार पति पत्नी के बजाये भाई बहन का त्यौहार बन गया।

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कहा जाता है कि जब 326 सदी में एलेग्जेंडर ने भारत में घुसपैठ की थी, तब उनकी पत्नी ने  पोरस राजा को राखी बाँधी थी और पोरस ने उनसे वादा किया था कि वह उनकी और उनके पति की रक्षा करेंगे। हमारे सामने राखी की गांठ बांधने के और भी कई उदाहरण है, खासकर राजपुताना के इतिहास में।

उन सब में चर्चित कहानी है चितौड़ की रानी कर्णावती की, जिन्होंने मुगल राजा हुमायूँ को गुजरात के बहादुर शाह जफर से बचाने के लिए भेजी थी। पूर्णिमा के उस दिन को रक्षा बंधन के रूप में पहले मारवाड़ में और फिर पूरे राजस्थान में मनाया जाने लगा। धीरे धीरे इस त्यौहार को पूरे भारत में मनाया जाने लगा।

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