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बच्चों के दांतों को "दूध के दांत" कहा जाता है, जो अस्थायी होते हैं लेकिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये 3 साल की उम्र तक आ जाते हैं और 6-12 साल की उम्र में स्थायी दांतों का स्थान लेते हैं।
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दांत हड्डियों का हिस्सा नहीं होते, बल्कि "एनामेल" नामक बहुत सख्त पदार्थ से बने होते हैं, जो स्टील से भी मजबूत होते हैं।
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दांत खुद को नहीं बना सकते, इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक बार टूट जाने पर वे खुद से नहीं जुड़ सकते।
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दूध के दांत स्थायी दांतों की तुलना में ज्यादा सफेद होते हैं क्योंकि इनमें अधिक "कैल्शियम" होता है।
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हर दांत का अपना अलग काम होता है, जैसे सामने वाले दांत काटने के लिए और पीछे वाले चबाने के लिए होते हैं।
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दांतों के बीच फंसे खाने के कण को निकालने के लिए फ्लॉस का इस्तेमाल जरूरी है, क्योंकि ब्रश से ये कण नहीं हटते।
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दांतों की संरचना हर व्यक्ति के लिए अलग होती है, जैसे फिंगरप्रिंट, जो आपकी पहचान का हिस्सा बनती है।
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दुनिया का पहला टूथब्रश 1498 में चीन में बनाया गया था, जो सुअर के बालों से बना था।
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लगभग 2000 में से एक बच्चा अपने जन्म के समय ही दांतों के साथ पैदा होता है, जिससे वे "मिनी वैंपायर" लगते हैं।
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लार दांतों को बैक्टीरिया से बचाने में मदद करती है और दिनभर में करीब 1 लीटर तक बनती है, जो दांतों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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