मणिकरण का गर्म पानी का सोता, जाने इसके बारे में रोचक जानकारी

प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को कई गर्म पानी के सोते से नवाजा है। गर्म पानी के सोते अपनी औषधीय फायदों की वजह से काफी मशहूर हो गए है। यह सोते ज्यादातर ब्यास और सतलुज घाटी के पास स्थित है। इनमें से एक मणिकरण में है।

By Lotpot
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मणिकरण का गर्म पानी का सोता, जाने इसके बारे में रोचक जानकारी

मणिकरण : प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को कई गर्म पानी के सोते से नवाजा है। गर्म पानी के सोते अपनी औषधीय फायदों की वजह से काफी मशहूर हो गए है। यह सोते ज्यादातर ब्यास और सतलुज घाटी के पास स्थित है। इनमें से एक मणिकरण में है।

मणिकरण कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर स्थित है। यह कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में है। एक पवित्र गुरूद्वारे के अलावा यह अपने गर्म पानी के सोते के लिए भी मशहूर है। यह सोते पार्वती नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ से बहने वाली नदी में गर्म पानी होता है जो मणिकरण साहिब में श्रद्धालु लंगर बनाने के लिए इस्तेमाल करते है। इस पानी की गति इतनी तेज होती है की अगर गलती से आप इसमें कुछ डाल दे तो वह आपकी नजरों से झट से ओझल हो जायेगा। यह गर्म पानी अपने साथ कुछ धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण भी लाता है।

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हिन्दू कहावत

इस जगह की खूबसूरती की वजह से भगवान शिव और पार्वती ने अपना प्रिय समय बिताया। कहा जाता है कि शिव और पारवती ने इस जगह पर 1100 साल बिताये थे। यहाँ रहने के दौरान देवी पार्वती ने अपनी बहुमूल्य मणि पानी में गुमा दी थी। इस नुकसान से उदास होकर उन्होंने शिवजी से उससे ढूंढने के लिए कहा। भगवान ने फिर अपने मुलाजिमों से मणि को वापिस लाने के लिए कहा। उनके नाकाम होने पर शिवजी ने अपनी तीसरी आँख खोली और जब यह हुआ तो बर्बादी तय थी। उनके गुस्से को शांत करने के लिए शेषनाग आये और उन्होंने अपनी जीभ उबलते पानी में डाली। उनकी जीभ बहुत दूर तक गयी और पार्वती द्वारा खोयी हुई मणि उन्हें मिल गयी। वह उबलता हुआ पानी जो अभी भी गर्म हैं, उस पवित्र माना जाता है। इस पानी में ठीक करने वाली ऐसी शक्तियां है कि कहा जाता है कि अगर आप यहाँ आये है तो आपको काशी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब यह पानी गुरुद्वारा और राम मंदिर में लंगर बनाने के काम आता है।

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सिखों की कहावत

इस जगह पर गुरु नानक देव जी भाई मरदाना के साथ 1574 में पहुंचे थे। उस समय भाई मरदाना को भूख लगी थी और उनके पास कुछ खाने के लिए नहीं था। गुरु नानक जी ने मरदाना को खाना लाने के लिए कहा। कई लोगों ने आटा दान में दिया ताकि लंगर के लिए रोटियां बन सके। दुर्भाग्यवश उस समय खाने को पकाने के लिए आग नहीं थी इसलिए गुरु नानक देव जी ने मरदाना को चट्टान हटाने के लिए कहा। जैसे ही उन्होंने चट्टान हटाई नीचे से गर्म पानी का सोता निकल आया लेकिन उसमें रोटियां डूब गयी। गुरु नानक जी ने उन्हें कहा की वह रोटी पकड़ कर रखे और भगवान से प्रार्थना करे की अगर रोटी डूबेगी तो वह एक रोटी उनके नाम पर दान करेंगे। परिणाम स्वरुप रोटी तैरने लगी और सही ढंग से पक गयी। उस समय से गर्म पानी बह रहा है और माना जाता है की कोई भी अगर भगवान को कुछ समर्पित करता है तो उसकी डूबी और खोयी हुई चीज उसके पास तैर कर वापिस लौट आती है।

वैज्ञानिक तर्क

इस गर्म सोते का मुख्य कारण पार्वती घाटी में गहरी चटक की वजह से है। इस वजह से पार्वती नदी का पानी बहुत नीचे बहता है और धरती के अंदर गर्म चट्टान के साथ टकराता है। और यही गर्म पानी मणिकरण से ऊपर आता है। इन चट्टानों का तापमान जो थर्मल एनर्जी के कारण बढ़ता रहता है, इसलिए पानी कभी ठंडा नहीं होता। यह पानी स्वास्थ्य और दिमाग के लिए अच्छा होता है।

प्रकृति के अपने रंग दिखाने के अलग ढंग है। ऐसे कई राज है जो आपको हैरान कर देते है।

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