रोचक जानकारी : रोलर कोस्टर का इतिहास

रोलर कोस्टर (Roller Coaster) की सवारी सबसे रोमांचक अनुभवों में से एक हैं। इसमें तेज रफ्तार के साथ ऊपर-नीचे व सीधे-उलटे होते हुए जब तेजी से आगे बढ़ते हैं तो रोमांच का एक अलग ही आनंद महसूस होता है। विश्व भर के एम्यूजमैंट पार्क्स  में छोटे-बड़े से लेकर बेहद लम्बे तथा ऊंचे-नीचे कई डिजाइनों वाले रोलर कोस्टर हैं। कुछ पर सवारी तो इतनी डरा देती है कि उन पर केवल मजबूत दिल वाले ही सवार हो सकते हैं।

By Ghanshyam
New Update
Interesting Information History of Roller Coaster

रोलर कोस्टर (Roller Coaster) की सवारी सबसे रोमांचक अनुभवों में से एक हैं। इसमें तेज रफ्तार के साथ ऊपर-नीचे व सीधे-उलटे होते हुए जब तेजी से आगे बढ़ते हैं तो रोमांच का एक अलग ही आनंद महसूस होता है। विश्व भर के एम्यूजमैंट पार्क्स  में छोटे-बड़े से लेकर बेहद लम्बे तथा ऊंचे-नीचे कई डिजाइनों वाले रोलर कोस्टर हैं। कुछ पर सवारी तो इतनी डरा देती है कि उन पर केवल मजबूत दिल वाले ही सवार हो सकते हैं।

Interesting Information History of Roller Coaster

रोलर कोस्टर का इतिहास

माना जाता है कि सबसे पुराने रोलर कोस्टरों की प्रेरणा बर्फ पर फिसलने के लिए बनाई जाने वाली आईस स्लाइड्स से ली गई थी। इनमें तथा कथित वे ‘रूसी पर्वत’ विशेष रूप से शमिल हैं जिनमें सेंट पीटर्सबर्ग के इलाके में बनाई गई बर्फीली ढलाने प्रमुख थी जिन पर नीचे की ओर फिसला जा सकता था। 17वीं शताब्दी में ये 21 से 24 मीटर की ऊंचाई तक बनाई गई थीं जिनमें 50 डिग्री तक ढलान होती थी। इन्हें लकड़ियों का सहारा दिया गया होता था।

वैसे पहला आधुनिक रोलर कोस्टर ‘प्रोमेनेड्स एरिनेस’ 8 जुलाई, 1817 को पैरिस में पार्स बेऊजाॅन में खोला गया जिसमें पहिए वाली कारों को पटरियों पर स्थापित किया गया था ताकि वे तेजी से चल सकें। इसे देख कर ही इससे मिलते-जुलते करीब आधा दर्जन रोलर कोस्टर बनाए गए परंतु जल्द ही उनकी लोकप्रियता में कमी आ गई।

बाद में खनन कम्पनियों द्वारा पहाड़ियों के सामान लाने ले जाने के लिए बिछाई गई पटरियों पर चलने वाली छोटी रेलों से प्रेरित होकर लामार्कस एडना थाॅम्पसन ने गुरूतवाकर्षण की मदद से पटरियों पर तेजी से नीचे आते हुए प्राप्त वेग की मदद से ही ऊपर की ओर जाने वाली रेल पर काम किया और 1884 में न्यूयाॅर्क के कोनी द्वीप में पहली बार इसे स्थापित किया गया। इसमें बैठने के लिए यात्री एक ऊंचेे मंच पर चढ़ते थे और ऊपर-नीचे होती हुई पटरी पर सफर का आनंद ले सकते थे।

1919 में पहली ‘अंडर फ्रिक्शन रोलर कोस्टर’ को जाॅन मिलर ने विकसित किया जो जल्द ही अमेरिका के एम्यूजमैंट पार्को में खूब लोकप्रिय हो गई। मंदी के दौर में एम्यूजमैंट पार्को के बिजनैस में बड़ी गिरावट आ गई। यह दौर 1955 तक चलता रहा जब सिनसिनाटी के पास किंग्स द्वीप में ‘द रेसर’ नामक रोलर कोस्टर को तुरंत मिली लोकाप्रियता ने इसमें लोगों की रूचि फिर से जगा दी। 1959 में डिज्नीलैंड ने रोलर कोस्टरों के डिजाइन में बड़ी सफलता हासिल करते हुए स्टील ट्रैक का उपयोग करने वाले पहले रोलर कोस्टर ‘मैटरहोर्न बाॅबस्लैज्स’ की शुरूआत की।

विश्व के कुछ खास रोलर कोस्टर

ताकाबिशा (फूजी-क्यू हाईलैंड थीम पार्क, जापान) रोलर कोस्टर पर राइडर्स सीधे 121 फुट नीचे गिरते हैं।

टावर ऑफ टैरर 2 (ड्रीमवल्र्ड, ऑस्ट्रेलिया) में राइडर्स को 90 डिग्री की सीधी गिरावट के कारण साढ़े 6 सैकेंड तक भारहीनता का अनुभव होता हैं।

फाॅर्मूला राॅस्सा (फेरारी वल्र्ड, संयुक्त अरब अमीरात) दुनिया के सबसे तेज रोलर कोस्टरों में से एक हैं। राइडर्स केवल 90 सैकेंड में 1.28 मील की यात्रा कर लेते हैं।

द स्माइल (एल्टन टावर्स, इंगलैंड) उन लोगों के लिए जिन्हें राइड के दौरान उल्टा होना पसंद है। इस रोलर कोस्टर पर राइडर्स 14 बार उल्टे होते हैं।

राॅऊगारोऊ (सिक्स प्वाइंट, अमेरिका) इस रोलर कोस्टर में कोई फ्लोर नहीं हैं।

किंगदा का (सिक्स फ्लैग्स ग्रेट एडवैंचर, अमेरिका) स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (415 फुट) जितना ऊंचा तथा 90 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलता हैं।

शाम्भाला (पोर्ट एवेंटुरा, स्पेन) पांच ऊंट जैसे आकर वाली ऊंचाई से गुजरता हैं।

ग्रैविटी मैक्स (लिहपाओ लैंड डिस्कर वल्र्ड, ताइवान) पर शुरूआत तो सपाट पटरियों पर होती हैं। परंतु कुछ दूर जाते ही वे सीधे नीचे को गिरते हुए बेहद तेज गति से सुरंग से गुजरती हैं।