UPSC IAS सारिका जैन | कहते है कि जब इरादा पक्का होता है तो कठिन काम भी आसान हो जाता है। आईआरएस अधिकारी सारिका का बचपन दर्द और तकलीफों से भरा था। हज़ार ठोकर खाए, बार बार गिरी, लेकिन गिर कर तुंरत उठ खड़ी हुई, तब आखिर सफलता ने सारिका को सलामी दी और आज भारत को अपनी इस बेटी पर गर्व है। सारिका ओड़िसा के एक छोटे से कस्बे काटावांझी में एक जॉइंट फैमिली में पैदा हुई थी। जब वो दो साल की थी तो पोलियो जैसे खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गई। वहां किसी को भी पोलियो बीमारी के बारे में जानकारी नहीं थी। तेज बुखार में तड़पती नन्ही सारिका को डॉक्टर के पास ले जाया गया।
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डॉक्टर ने मलेरिया समझकर इंजेक्शन लगाया लेकिन सारिका का आधा शरीर सुन्न पड़ गया जो फिर कभी ठीक नहीं हो सका। डेढ़ दो साल तक वो बिस्तर पर कोमा में पड़ी रही, माता पिता ने हार नहीं मानी, बहुत से डॉक्टरों को दिखाया। धीरे धीरे सारिका को होश आया और वो उठकर बैठने की कोशिश करने लगी। बार बार गिरते पड़ते आखिर एक दिन वो खड़ी हो गई। चार साल की उम्र में उसने लड़खड़ा कर फिर से चलना शुरू किया। सारिका स्कूल जाना चाहती थी, लेकिन पोलियो ग्रस्त टांगो और आधे सुन्न शरीर के कारण किसी स्कूल में उन्हें एडमिशन नहीं मिला था।
एक स्कूल में एडमिशन मिला भी तो वहां के बच्चे उसे परेशान करने लगे, आते जाते उसे चिढ़ाते, उसका मजाक उड़ाते और पत्थर भी मारते थे। लेकिन सारिका का मनोबल नहीं टूटा, वो डरी नहीं, उसे जिद थी पढ़ने लिखने की इसलिए सब कुछ चुपचाप सहकर सिर्फ अपनी पढ़ाई लिखाई में ध्यान देती रही और अच्छे नंबरों से पहले दसवीं कक्षा पास की और फिर बी कॉम भी कर लिया। सारिका पहले डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन घर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि डॉक्टर की पढ़ाई कर सके। सारिका को घर बैठना पड़ा।
घर बैठे बैठे उन्होंने सी ए की पढ़ाई करना चाहा तो मम्मी पापा मान गए। बड़े संघर्ष के साथ सी ए की परीक्षा दे पाई और उस पूरे क्षेत्र में सबसे अव्वल नम्बर लेकर सी ए बन गयी। घरवाले खुश हो गए। एक दिन सारिका को किसी ने आई ए एस के बारे में बताया तो सारिका को आई ए एस अफसर बनने की धुन सवार हो गयी। घर वाले चौंक गए , मुहल्ले वालों ने भी उनकी विकलांगता पर हंसते हुए कहा कि इस हालत में आईएएस करना आसान नहीं, तुम तो जीवन भर कभी ये परीक्षा पास कर ही नहीं पाओगी।
लेकिन सारिका दृढ़ संकल्प लें चुकी थी। उसने अपना विल पवार स्ट्रॉन्ग रखा। घरवालों से कहा कि इस तरह के माहौल से दूर वो दिल्ली जा कर परीक्षा की तैयारी करना चाहती हैं। पिता साधुराम जैन और माँ सन्तोष देवी ने बेटी का साथ दिया । अपनी इच्छाशक्ति लग्न मेहनत से उन्होंने डेढ़ वर्ष की तैयारी की, दिल्ली आ कर कोचिंग लेनी पड़ी। आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और 2013 में रैंक हासिल करके सारिका ने यह कठिन परीक्षा UPSC IAS भी पास कर ली।
सारिका का सिलेक्शन आईआरएस ( इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज) में हो गया। सारिका कहती है कि अगर इंसान ठान ले तो हर मुश्किल को पार कर के अपना मुकाम हासिल कर सकते है, इंसान को नेगेटिव बोलने वालों से मुँह नहीं लगना चाहिए और उनसे डरना भी नहीं चाहिए। सारिका ने कहा कि इस दुनिया में शिक्षा और ज्ञान से बढ़कर कुछ नहीं। वे बोली कि पोलियो की तकलीफों के बावजूद वो इसलिए कामयाब हो पाई क्योंकि उसके शरीर में भले ही पोलियो था लेकिन मन में पोलियो नहीं था।
सारिका आईआरएस अफसर की जिम्मेदारी के साथ साथ लड़कियों के लिए गाइडेन्स प्रोग्राम भी चलाती है। इसमें वे लड़कियों के मन से डर दूर करके उन्हें आईएएस बनने के सपने को साकार करने की राह बताती है।
जो लड़कियाँ आईएएस अफसर बनना चाहती हैं उन्हें सारिका के टिप्स:--
किसी सही कोचिंग सेंटर को जॉइन करें और अपने कोच को ध्यान से सुने, रोज़ कम से कम बारह घंटो की पढ़ाई करें, छः महीने पहले से ही प्रिपरेशन शुरू करें, अपने विल पावर को मजबूत रखें, कुछ भी थोड़ा ऊपर नीचे हो तो परेशान ना हों, पढ़ाई अच्छी करें और रिज़ल्ट की चिंता ना करें, सोच को पॉज़िटिव रखें, घबराहट को अपने ऊपर हावी ना होने दें।"
लॉक डाउन के दौरान जब लोग घरों में बैठ कर फिल्में देख रहे थे और वीडियोज़ डाउनलोड अपलोड कर रहे थे, ये आईआरएस अधिकारी सारिका, घर पर बैठ कर मास्क बना रही थी, अपने आस पास के जरूरतमंदोंको बाँटने के लिए।
★सुलेना मजुमदार अरोरा★