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जंगल के पास एक तालाब में हंसराज नामक हंस रहता था, जो आलसी और मस्तीखोर था। वह दिनभर तैरता और मछलियां खाता था।
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जंगल में एक नया स्कूल खुला, जहां सभी जानवरों के बच्चे पढ़ने जाते थे। हंसराज को यह देखकर स्कूल जाने की जिज्ञासा हुई।
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हंसराज ने एक पुरानी किताब लेकर स्कूल जाने का फैसला किया, जहां रास्ते में उसकी मुलाकात गिल्लू गिलहरी और लंबू खरगोश से हुई।
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स्कूल में पहुंचकर हंसराज ने उल्लू मास्टरजी से पढ़ाई के लिए नियम मानने की बात कही और क्लास में कुछ मजेदार उत्तर दिए।
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गणित की क्लास में हंसराज ने सवाल का हास्यपूर्ण जवाब दिया, जिससे क्लास में ठहाके गूंज उठे।
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हिंदी की क्लास में भी हंसराज ने अपने जवाब से सभी को हंसा दिया।
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लंच ब्रेक में हंसराज तालाब की ओर भागा और अपनी पसंदीदा मछलियां पकड़ने लगा, जिससे उसके साथी जानवरों ने उसका मजाक बनाया।
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दिन के अंत में, हंसराज ने मास्टरजी से कहा कि स्कूल मजेदार है, लेकिन उसकी असली जगह तालाब है, जहां वह तैराकी और मस्ती करना पसंद करता है।
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कहानी की सीख यह है कि हर किसी की अपनी ताकत और जगह होती है, और हमें अपनी क्षमताओं को पहचानकर उनका उपयोग करना चाहिए।
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हंसराज तालाब लौट गया, लेकिन उसने स्कूल के दिनों को कभी नहीं भुलाया।
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