बाल कहानी : खुशियां कैसे बाँटी जाएँ? खुशियां कैसे बाँटी जाएँ? : बारिश के दिन थे और शाम के वक्त दो दोस्त अपने दफ्तर से लौट रहे थे। अचानक, फटे कपड़ों में एक बूढ़ा आदमी अपने काँपते हाथों से हरी सब्जियों के थैले लेकर उनके पास आया। By Lotpot 15 Feb 2022 | Updated On 15 Feb 2022 12:50 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी :- खुशियां कैसे बाँटी जाएँ? : बारिश के दिन थे और शाम के वक्त दो दोस्त अपने दफ्तर से लौट रहे थे। अचानक, फटे कपड़ों में एक बूढ़ा आदमी अपने काँपते हाथों से हरी सब्जियों के थैले लेकर उनके पास आया। उन सब्जियों की हालत बहुत खराब थी, पत्ते गल रहे थे और पीले पड़ चुके थे और उनमें ढेर सारे छेद भी थे जैसे कि कीड़ों ने काटा हो। बूढ़े ने उन दोस्तों से सब्जी खरीद लेने की विनती की। एक दोस्त ने मना कर दिया लेकिन दूसरे दोस्त ने बिना कुछ कहे उस बूढ़े से तीन बैग सब्जियों की खरीद ली। बूढ़े आदमी ने भी शर्मिंदगी से समझाया, "मैंने ये सब्जियां खुद उगाईं है, कुछ समय पहले बारिश हुई थी, और सब्जियां भीग गई थीं इसलिए यह ऐसी खराब दिख रही हैं। मुझे क्षमा करें।" बूढ़े आदमी के जाने के बाद, पहले वाले दोस्त ने सब्जी खरीदने वाले दोस्त से पूछा, "क्या आप सच में घर जाकर इन्हें पकाएंगे?" तब उस दोस्त ने जवाब दिया कि वाकई यह सब्जियां खाने लायक नहीं है, इसलिए वो इन सब्जियों को फेंक देगा। यह सुनकर उसके दोस्त ने आश्चर्य से पूछा,"तो फिर आपने उन्हें खरीदने की परेशानी क्यों उठाई?" उत्तर में सब्जी खरीदने वाले दोस्त ने कहा, "क्योंकि मैं जानता हूँ कि यह सब्जियां कोई और नहीं खरीदेगा, चाहे वो बूढा सब्जीवाला कितना भी प्रयत्न कर ले। अगर मैं इसे नहीं खरीदता, तो शायद बूढ़े के पास आज के राशन पानी के लिए पैसे ना होते।" अपने मित्र की भावनाओं से प्रभावित होते हुए पहले वाले दोस्त ने उस सब्जी वाले बूढ़े को जोर से आवाज लगाई, जो थोड़ी ही दूर आगे गया था। बूढा रुक गया तो उसने उसके पास बची सारी सब्जियों की थैलियां खरीद ली। बूढ़े ने बहुत खुशी से कहा, "अरे! मैंने इन सब्जियों को पूरे दिन बेचने की कोशिश की, पर कोई भी उन्हें खरीदने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि तुम दोनों ने मुझसे सारी सब्जियां खरीद ली, यह तो चमत्कार हो गया। मेरी मेहनत बेकार नहीं गई। बहुत - बहुत धन्यवाद।" बूढ़े सब्जीवाले की खुशी देखकर दोनों दोस्त मुस्कुराने लगे। यह मुट्ठी भर हरी सब्जियां,जो खाने लायक भी नहीं थी, इन सब्जियों ने सबको कितनी खुशियाँ बांटी। बच्चों इस कहानी से हमें यह सबक मिलती है कि जिस तरह बुरे वक्त में हम अपने लिए अच्छा होने की कामना करते हैं, उसी तरह अपने अच्छे वक्त में हमें दूसरों के बुरे समय में, उनके लिए अच्छा करना चाहिए। और पढ़ें : बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page You May Also like Read the Next Article