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रोज़ी नाम की एक प्यारी लड़की क्रिसमस के दिन की तैयारियों में व्यस्त थी और अपने पिताजी के साथ बाजार जाकर कई चीजें खरीदीं।
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उसने अपने दोस्तों को बुलाकर सभी खरीदी गई चीजें दिखाईं। शिखा नाम की उसकी एक सहेली ने उसकी नई फ्रॉक की तारीफ की लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति के कारण उसे खरीद नहीं पाई।
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शिखा की उदासी को देखकर रोज़ी ने अपनी फ्रॉक उसे देने का फैसला किया, भले ही उसके माता-पिता ने उसे दूसरी फ्रॉक देने से मना कर दिया था।
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रोज़ी ने शिखा को फ्रॉक भेंट की, जिससे शिखा बहुत खुश हुई और रोज़ी के दिल को सुकून मिला।
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जब रोज़ी घर लौटी, तो उसे अपने माता-पिता की ओर से एक नई फ्रॉक मिली, जो पहले वाली से भी सुंदर थी।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने और त्याग में होती है।
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प्रेम और करुणा से भरा उपहार ही सच्चा उपहार होता है, जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है।
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अंततः, कहानी हमें बताती है कि त्याग और दूसरों की खुशी में ही असली संतोष और खुशी छिपी होती है।
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