बाल कहानी : चालाक शेरनी का कारनामा

चंपक जंगल में एक चालाक शेरनी रहती थी। उसके चार और प्यारे छोटे छोटे बच्चे थे। वह इतने छोटे थे कि अभी तक उनकी आंखे भी नहीं खुली थी। वह ज़्यादातर समय सोते रहते थे और जब वह उठते थे तो उनकी मां उन्हें दूध पिलाती थी। लेकिन अगर उनकी मां एक मिनट भी लेट हो जाती तो उसके बच्चे इतना चिल्लाते कि पूरी गुफा को हिलाकर रख देते। उसी जंगल में एक और शेर रहता था। वह बूढ़ा था।

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बाल कहानी (Child Story) चालाक शेरनी का कारनामा : चंपक जंगल में एक चालाक शेरनी रहती थी। उसके चार और प्यारे छोटे छोटे बच्चे थे। वह इतने छोटे थे कि अभी तक उनकी आंखे भी नहीं खुली थी। वह ज़्यादातर समय सोते रहते थे और जब वह उठते थे तो उनकी मां उन्हें दूध पिलाती थी। लेकिन अगर उनकी मां एक मिनट भी लेट हो जाती तो उसके बच्चे इतना चिल्लाते कि पूरी गुफा को हिलाकर रख देते। उसी जंगल में एक और शेर रहता था। वह बूढ़ा था। उसके सुनने और देखने की क्षमता खराब हो चुकी थी और उसके कई दांते और नाखून भी टूट चुके थे। इस कारण वह जानवरों का शिकार नहीं कर पाता था। वह अब सिर्फ फलों और पत्तियों को भोजन में खाता था।

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एक दिन बूढ़ा शेर सूरज के नीचे लेटा हुआ था, तभी उसका एकमात्र दोस्त बंदर उसके पास एक अमरूद खाते हुए आया। उसने शेर से पूछा, ‘क्या तुम्हें यह खाना है। मैं देख रहा हूं कि तुम बहुत कमज़ोर हो गए हो। मुझे लगता है कि तुम्हें कुछ मांस खाना चाहिए।’ शेर ने दुखी होकर कहा, ‘लेकिन मैं शिकार पर कैसे जाऊं? मैं अब भाग नहीं पाता।’ ‘तुम उसकी परवाह ना करो, मेरे दोस्त। तुम्हारे पास ही एक गुफा है। कल मैं वहां से गुजरा था। वहां पर चार मोटे छोटे बच्चे रहते है। तुम उन बच्चों को मार सकते हो और उन्हें खा सकते हो।’ बंदर ने कहा।

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बूढ़े शेर ने कहा, ‘लेकिन उनकी मां? अगर उसने मुझे देख लिया तो वह मुझे मार डालेगी।’ बंदर ने शेर के पास आकर उसे कहा, ‘सुनो, उनकी मां अपने बच्चो को शाम में दूध पिलाती है और रात में वह शिकार पर निकलती है। मैंने उसे रोज़ ऐसा करते हुए देखा है। जब रात आएगी तो मैं तुम्हें वहां पर ले चलूंगा।’

लालची शेर ने उठकर कहा, ‘मैं रात तक इंतज़ार नहीं कर सकता। मेरे दोस्त, मुझे अभी उस गुफा पर ले चलो।’ ‘ठीक है, लेकिन अगर गुफा के अंदर उनकी मां होगी, तो तुम नहीं जाओगे।’ बंदर ने शेर को चेतावनी दी। बंदर शेर की पीठ पर बैठ गया और वह दोनों गुफा की ओर चल पड़े। ‘वह रही गुफा। इन झाड़ियों में से निकलो और तुम उस गुफा पर पहुंच जाओगे। लेकिन पहले खुद को छुपा लो और देख लो कि शेरनी शिकार पर निकली है या नहीं।’

बंदर की सलाह मानते हुए बूढ़ा शेर गुफा की ओर बढ़ा। खाने में चार बच्चों को खाने के ख्याल से उसके मुंह में पानी आने लगा। ‘बूढ़े शेर ने सोचा, ‘मैं दो बच्चों को कल के लिए रख लूंगा।’ जब वह वहां पर पहुंच गया तो उसके पेट में से ज़ोर से आवाज़ आई। उसने कहा, ‘मैं कितना भूखा हूं। मुझे लगता है कि अब मुझे तीन बच्चों को खाना चाहिए और एक को बाद के लिए रखना चाहिए।’ मूर्ख शेर उनकी मां के बारे में भूल गया।

गुफा के अंदर शेरनी अपने बच्चों को खाना खिलाने ही वाली थी कि उसने बाहर झाड़ियों में कुछ आवाज़े सुनी। वह बाहर निकली और उसने देखा कि बूढ़ा शेर उसकी गुफा के इर्द गिर्द घूम रहा है। उसके मुंह से पानी टपक रहा है और पेट में से आवाजे आ रही है। शेरनी ने सोचा, ‘क्योंकि अब मैं यहां हूं, मेरे बच्चों को कुछ नहीं होगा। लेकिन तब क्या होगा जब वह वापिस यहां पर आएगा और मैं यहां पर नहीं होऊंगी। मुझे इसे हमेशा के लिए यहां से भगाना है।’

चालाक शेरनी को पता था कि उसे क्या करना है। उसने कुछ देर इंतज़ार की जब तक पुराना शेर गुफा के गेट पर नहीं पहुंच गया। तब उसने अपने बच्चों को च्यूंटी कांटी और उसके बच्चे उठ गए। जैसे ही वह उठे, वह ज़ोर से चिल्लाने लगे। लेकिन उनकी मां ने उन्हें खाना नहीं दिया। बल्कि वह ज़ोर ज़ोर से कहने लगी, ‘ओह, मेरे बच्चो। मुझे पता है कि तुम भूखे हो।

मुझे लगता है कि रात का भुना हुआ मांस चार भूखें पेट के लिए पूरा नहीं हो सका...कोई बात नहीं, फिक्र मत करो, आज तुम्हें एक बड़े जानवर का मांस खाने को मिलेगा।’ बूढ़ा शेर यह सभी बातें सुन रहा था। ‘हे भगवान, वह चार भूखे बच्चे मुझे भी खा सकते है। मुझे यहां से भागना चाहिए।’ यह कहकर वह अपनी पूंछ हिलाकर जितनी तेज़ हो सकता था उतनी तेज़ भागा। शेर को इतना डरा हुआ देखकर बंदर ने उससे पूछा, ‘क्या हुआ? क्या तुमने खाया नहीं?’

शेर ने हांफते हुए कहा, ‘उन बच्चों को खाना?’ यह कहकर शेर के शरीर के बाल सुई की तरह खड़े हो गए। उसने बंदर को बताया कि उसने गुफा के अंदर क्या क्या सुना। चालाक बंदर ने हंसते हुए कहा, ‘हा हा, उस चालाक शेरनी ने तुम्हें पागल बना दिया।

दोस्त, इतना डरो मत। वह चार बच्चे कुछ नहीं कर सकते। वह तो चल भी नहीं सकते। मेरे साथ आओ। मैं तुम्हें गुफा में चुपके से जाने का रास्ता दिखाता हूं जहां से तुम्हें ठीक ठीक दिखाई देगा। तुम तब देखना कि वह बच्चे क्या है?’ कुछ संतुष्ट होकर बूढ़ा शेर अपने साथ अपने दोस्त को अपनी पीठ पर बैठकर दोबारा से उस गुफा की ओर चल प़ड़ा।

उस दौरान चालाक शेरनी शिकार के लिए नहीं गई थी। उसे डर था कि बूढ़ा शेर दोबारा आएगा। अब उसने बाहर देखा और बंदर को शेर की पीठ पर बैठे हुए उसने देख लिया। शेरनी ने सोचा, ‘तो यह सब इस बंदर का आइडिया है। अभी रुको मूर्ख, मैं तुम्हें सबक सिखाती हूं। इसके बाद तुम सपने में भी मेरे बच्चों को खाने के बारे में नहीं सोचोगे।’ जब बंदर और शेर गुफा के पास पहुंचे तो शेरनी ने दोबारा अपने बच्चों को च्यूंटी मारी।

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हमेशा की तरह वह इस बार पहले से भी ज़्यादा रोने लगे। उन्हें बार बार उठना अच्छा नहीं लगता था। तब शेरनी ने ज़ोर से कहा, ‘थोड़ी देर और इंतज़ार करो मेरे बच्चे, तुम्हें अपना खाना जल्द मिलेगा मैं वादा करती हूं। बल्कि मैंने तुम्हारे बंदर मामा को तुम्हारे लिए एक शेर लाने के लिए कह दिया है। वह यहां पर कभी भी पहुंचता होगा।’ जब बूढ़े शेर ने यह सुना तो वह हैरान रह गया। बंदर भी हैरान हो गया। दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा लेकिन कुछ कह नहीं सके। कुछ भी हो, पुराना बूढ़ा शेर डर गया था और वह इतनी तेज़ भागा कि उसकी पीठ से बंदर भी गिर गया। वह अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग गया और उसके बाद एक बार भी गुफा के पास नहीं गया। उस दिन से बूढ़े शेर ने दोबारा मांस खाने के बारे में नहीं सोचा।

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