बाल कहानी : खुशियों की हरियाली

बाल कहानी : खुशियों की हरियाली - एक बगीचे में एक आम का पेड़ था, उसमें खूब  मीठे मीठे आम लगते थे, एक दिन एक गरीब  बच्चा उस पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगा, आम के पेड़ ने बच्चे से पूछा,"बेटा तुम रो क्यों रहे हो?" बच्चे ने कहा ,"मुझे भूख लगी है।" बच्चे की बात सुनकर पेड़ ने कहा, "तुम रोना बंद करो, और मेरे मीठे आम तोड़ कर खा लो।"

By Lotpot
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lotpot kahani khushiyon ki Hariyali

बाल कहानी : खुशियों की हरियाली - एक बगीचे में एक आम का पेड़ था, उसमें खूब  मीठे मीठे आम लगते थे, एक दिन एक गरीब  बच्चा उस पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगा, आम के पेड़ ने बच्चे से पूछा,"बेटा तुम रो क्यों रहे हो?" बच्चे ने कहा ,"मुझे भूख लगी है।" बच्चे की बात सुनकर पेड़ ने कहा, "तुम रोना बंद करो, और मेरे मीठे आम तोड़ कर खा लो।"

बच्चे ने आम खा लिया और खुश हो गया। अब वो रोज़ वहां आने लगा। इस तरह दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। कुछ समय बाद बच्चे ने आना बंद कर दिया। आम का पेड़ इंतजार  करता रहा, कई महीनों बीत गए । एक दिन वो बच्चा फिर से आम के पेड़ के पास आया।

पेड़ ने पूछा, "इतने दिनों तक तुम क्यों नहीं आए? मैं तुम्हारी राह देख रहा था।" बच्चे ने कहा, "मैं स्कूल में दाखिला लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसके लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं।" यह सुनकर पेड़ ने तुरंत कहा, "बेटा, तुम मेरे सारे आम तोड़ लो और  बाजार में बेच दो, उस पैसे से तुम स्कूल में दाखिला ले लेना।"

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बच्चे ने सारे आम तोड़ लिए और फिर कई सालों तक नहीं आया। आम का पेड़  उसका इंतजार  करते करते सूख गया। कुछ साल बाद एक दिन वो बच्चा फिर से आया। अब वो जवान हो गया था। पेड़ खुश हो गया लेकिन लड़के ने कहा, "मैं तुम्हारे साथ खेलने नहीं आया, मुझे  अपना घर बनाना है,  पैसे कम पड़ रहे है।" आम के पेड़ ने कहा, "मेरे पास तो अब आम नहीं है, तुम मेरी सारी डालियाँ काट कर बेच दो, तुम्हें कुछ पैसे मिल जाएंगे।" लड़के ने वैसा ही किया। उसके बाद वो लड़का फिर बहुत सालों तक नहीं आया। आम का पेड़ उदास होकर एकदम सूख गया।

कई सालों बाद एक बूढ़ा आदमी उस आम के पेड़ के पास आया।  बूढ़े ने पूछा," क्या तुमने मुझे पहचाना ? मैं वही बच्चा हूँ जो तुम्हारे साथ खेलता था।" बूढ़े पेड़ ने उदासी से कहा, "अब तो मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है बेटा," य़ह सुनकर बूढ़ा आदमी रो पड़ा और बोला, "आज मैं तुमसे कुछ लेने नहीं आया हूँ, बस मैं तुम्हारे साथ जी भरकर बातें करने आया हूं, तुम्हारे गोद में सर रखने आया हूं, मैं समझ गया कि तुम्हारी तरह कोई मुझे प्यार नहीं करता ।" यह कहकर बूढ़ा अपने आम के पेड़ से लिपट गया।

अब वो रोज़ पेड़ से मिलने आने लगा। इतना प्यार पाकर धीरे धीरे आम के पेड़ में फिर पत्ते उगने लगे और पेड़ हरा भरा हो गया। अब दोनों खुश रहने लगे।

सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि उस आम के पेड़ की तरह  हमारे माता पिता हमेशा हमारा भला चाहते हैं। हमें अपने माता पिता को खुश रखना चाहिए।

-सुलेना मजुमदार अरोरा

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