लोटपोट की अनोखी होली

लोटपोट की अनोखी होली: होली का दिन था। अमन सुबह-सुबह अपनी साइकिल पर एक गली से गुजर रहा था। तभी किसी ने ऊपर से उस पर पानी फेंक दिया। अमन एकदम घबरा गया। उसने ऊपर देखा तो शरारती जग्गी खुशी से चिल्ला रहा था, “होली है“।

By Ghanshyam
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Lotpot Ki Kahani Anokhi Holi hindi

लोटपोट की अनोखी होली: होली का दिन था। अमन सुबह-सुबह अपनी साइकिल पर एक गली से गुजर रहा था। तभी किसी ने ऊपर से उस पर पानी फेंक दिया। अमन एकदम घबरा गया। उसने ऊपर देखा तो शरारती जग्गी खुशी से चिल्ला रहा था, “होली है“।

अमन चुप रहा। वह ठिठुरता हुआ घर लौटा। दोबारा कपड़े पहन कर दूसरी गली से निकल गया। वास्तव में अमन अस्पताल में अपने पड़दादा जी के लिए घर से दूध लेकर जा रहा था। उसके पड़दादा जी पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में दाखिल थे। उन्हें सांस की तकलीफ थी। शहर की जिस गली में उनका परिवार रहता था, वह गली बहुत तंग थी। वहां खुली हवा कम मिलती थी। डाक्टरों ने उसके पड़दादा जी को यही सलाह दी थी कि वह बाहर खुली हवा में जरूर सैर किया करें। वह घर में अक्सर यही कहते थे, ‘‘मैंने अमन के स्कूल में बहुत से पेड़ खुद लगाए थे अपने हाथों से लेकिन जब से स्कूल की नई बिल्डिंग बनी है, सभी पेड़ काट दिए गए है। अब साफ और ताजा हवा कहां से आए? हर तरफ धुआं ही धुआं और प्रदूषण ही प्रदूषण“।

पड़दादा जी ज्यादा न बोल पाते। उनकी सांस फूलने लगती। अमन बेबस होकर देखता रहता। उनकी पीठ सहलाता रहता। ऐसा ही सड़क पर लगे वृक्षों के साथ हुआ था। कुछ लालची लोगों की उन पर बुरी नजर पड़ गई थी।

अमन पड़दादा जी को अस्पताल में दूध पिलाकर फिर घर लौट आया। तब तक उसके पापा भी अस्पताल में पहुंच चुके थे।

अमन ने आकर देखा, उसके सभी साथी हाथों में पिचकारियां लेकर एक दूसरे को रंग रहे थे। अमन ने पिछले साल खूब होली खेली थी लेकिन ऐसा मजाक किसी के साथ नहीं किया था जिससे किसी का मन परेशान हो।

‘‘अमन, तुम होली क्यों नहीं खेल रहे’’? दूसरी गली आए दीपक ने उससे पूछा।

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अमन बोला, ‘‘पड़दादा जी अस्पताल में दाखिल है न। अब उनके लिए खाना लेकर जाना है। मम्मी खाना बना रही हैं’’।

अमन अस्पताल में खाना देकर फिर वापस आया। उसने देखा, जग्गी फिर शरारतें करता आ रहा था। उसके पास कई गुब्बारे थे, जिनमें रंग वाला पानी भरा था।

जग्गी ने गली से गुजर रहे एक बुजुर्ग रिक्शा वाले की पीठ पर गुब्बारा मारा। इससे पहले कि रिक्शा वाला उससे गुस्सा होता, वह तेजी से गली में भाग निकला।

अमन पड़दादा जी की खराब होती जा रही सेहत को लेकर उदास था। उसे एक योजना सूझी। वह अपने दोस्त रंजन और मधुर के पास गया। ये दोनों उसके खास दोस्त थे। उन्हें भी अमन के पड़दादा जी की बीमारी के बारे में पता था।

अमन ने अपनी योजना के बारे में दोस्तों को बताया तो वे खुश हो गए। इस नेक कार्य में उन्होंने अन्य साथियों को भी शामिल करने की बात कही। मधुर अपने बड़ी दीदी पम्मी को बुला लाया। वह पांचवी कक्षा में थी। उसको योजना का पता चला तो वह खुश हो गई। उसके मुंह से निकला, ‘‘वाह’’!

सभी दोस्त अलग-अलग किस्म के रंग ले आए। वे मोहल्ले के ही एक छोटे से मैदान में इकट्ठा होने लगे। जो भी उन्हें देखता, वहां इकट्ठा होने लगता।

अब अमन ने अपने दोस्तों की मदद से जमीन पर रंग-बिरंगे अक्षरों में कुछ लिखा। फिर उसने पास के किसी घर से आठ-दस पुराने अखबार मंगवा लिए। जमीन पर लिखे अक्षरों से उन्हें ढंक दिया।

अपनी योजना के अनुसार अमन ने कुछ दोस्तों को वहां पर ही रहने दिया। फिर रंजन और मधुर को साथ लेकर नगरपालिका के अध्यक्ष जी के घर गए। अध्यक्ष जी का घर उसी मोहल्ले में ही था।

नगरपालिका अध्यक्ष मन ही मन हैरान थे। सोच रहे थे पता नहीं बच्चे उन्हें कहां लेकर जा रहे हैं? अध्यक्ष जी के साथ मोहल्ले के कुछ और सज्जन भी आने लगे। इनमें जग्गी भी था। तब तक जग्गी को भी अमन के पड़दादा जी के बीमार होने का पता चल गया था। उसने अमन से ऐसी घटिया हरकत के लिए माफी मांगी।

अब अमन नगरपालिका अध्यक्ष जी से बोला, ‘‘अंकल जी, आप सभी अखबार अपने हाथ से उठाएं और हमारी कला का मुहूर्त करें’’।

नगरपालिका अध्यक्ष जी ने ज्यों ही सभी अखबार उठाए और लिखे शब्दों को ऊंचे स्वर में पढ़ने लगे, ‘‘पेड़ों बिन सूना संसार। पेड़ों से रंगीन त्योहार’’।

इन पंक्तियों को पढ़ कर अध्यक्ष जी बोले, ‘‘बच्चो, होली के दिन इन रंग-बिरंगे खूबसूरत अक्षरों ने मुझे सोचने पर विवश कर दिया है। आप का यह संदेश केवल मेरे लिए है कि हम अपनी प्राकृतिक-धरोहर को बचाएं। पेड़-पौधे होंगे तभी मनुष्य जिंदा रह सकेगा।

अध्यक्ष जी ने सभी बच्चों के चेहरों पर थोड़ा गुलाल लगाया। खुद भी लगवाया। अगले दिन नगरपालिका अध्यक्ष जी बच्चों के साथ शहर के अलग-अलग स्थानों पर नन्हें पौधे लगा रहे थे। मौहल्ले में इस अनोखी होली की चर्चा हो रही थी।

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