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कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास के महानतम विचारकों में से एक थे।
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वे मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार थे और उन्होंने "अर्थशास्त्र" नामक विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की।
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चाणक्य का जन्म 360 ईपू. तक्षशिला में हुआ और उन्होंने वहां तर्क, प्रशासनिक ज्ञान, और कूटनीति की शिक्षा प्राप्त की।
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तक्षशिला में शिक्षा के बाद, चाणक्य की योग्यता पाटलिपुत्र पहुंची, जहां महाराजा धनानंद ने उन्हें दरबार से बाहर कर दिया, जिससे चाणक्य ने प्रतिशोध की ठानी।
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चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को तक्षशिला ले जाकर प्रशिक्षित किया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में मदद की।
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"अर्थशास्त्र" चाणक्य का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें राजनीति, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, न्याय, कूटनीति, और युद्ध की नीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई है।
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सिकंदर के भारत आक्रमण के समय, चाणक्य ने उसे रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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अपने अंतिम समय में, चाणक्य ने सत्ता से दूर रहकर गंगा किनारे एक झोपड़ी में रहकर चन्द्रगुप्त को सलाह दी।
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चाणक्य का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र में अमूल्य है और उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
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चाणक्य की जीवनी और नीतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी और वे भारतीय इतिहास में एक महान राजनीतिक और आर्थिक विचारक के रूप में याद किए जाएंगे।
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