शिक्षाप्रद कहानी : अपनी बुद्धि अपनी समझ :- एक देश का राजा अपने को बहुत दानवीर मानता था। वो अक्सर तरह तरह के खेल आयोजित करता, और जीतने वाले को इनाम देता था।राजा के दरबार में एक बुद्धिमान मंत्री भी था। एक बार, राजा ने ढिंढोरा पिटवाया कि जो इंसान इस कड़ाके की ठंड में, रात भर तालाब के पानी में खड़ा रहेगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा । बहुत से लोगों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने की कोशिश की, लेकिन तालाब के ठंडे पानी में रात भर, गले तक डूबकर खड़े रहने की हिम्मत किसी में नहीं हुई।
सभी लोग कुछ ही घंटों में हार कर लौट गए । लेकिन एक बहुत गरीब बूढ़े आदमी ने, हर हाल में इस मुकाबले को जीतने का फैसला किया और रात भर तालाब के पानी में खड़ा रहा। सुबह तालाब के चौकीदारों ने बूढ़े बाबा को राजा के सामने पेश किया। राजा ने उनसे पूछा कि क्या बूढ़ा बाबा सचमुच पूरी रात पानी में खड़ा था और कहीं उसे गर्माहट देने के लिए कोई आग या अलाव तो नहीं जल रहा था? चौकीदारों ने बताया कि तालाब से बहुत दूर, पीपल के पेड़ तले एक दीया जल रहा था, जिसकी गरमाहट बूढ़े को मिल रही होगी इसलिए वो इनाम का हकदार नहीं है।
यह सुनकर राजा ने बूढे को पुरस्कार देने से मना कर दिया। बूढ़ा रोते हुए चला गया। मंत्री को ये बात अच्छी नहीं लगी। अगले दिन, मंत्री ने राजा से निवेदन किया कि वे उनके घर पर भोजन करने आयें क्योंकि वो एक अनोखा पकवान पका रहा है।
अगले दिन राजा जब मंत्री के घर पहुँचा तो मंत्री ने उन्हें आदर से बिठाया लेकिन काफी देर बाद भी भोजन नहीं परोसा। राजा ने देरी का कारण पूछा तो मंत्री ने बताया कि अभी खाना पक रहा है। बहुत देर होने पर राजा ने फिर मंत्री से कारण पूछा तो मंत्री ने राजा को अपने बगीचे में उगे एक नारियल के पेड़ के उपर बँधी हाँडी दिखाते हुए कहा, "महाराज, वो देखिए भोजन पक रहा है।" इसपर राजा ने आश्चर्य से पूछा, "पर, खाना कैसे पक रहा है, चूल्हा कहाँ है?"
मंत्री ने तुरन्त नारियल के पेड़ के नीचे जमीन पर रखे दीये की ओर इशारा करते हुए कहा, "महाराज, उस दीये की आग से खाना पक रहा है।" इसपर राजा जोर से हँसते हुए बोले,"अरे मूर्ख, यह छोटा सा दीया, नारियल के पेड़ के उपर रखा भोजन कैसे पका सकता है? "यह सुनते ही मंत्री ने कहा,"महाराज जब दूर जलने वाले दीये से उस बूढ़े को गर्मी लग सकती है, तो नारियल के पेड़ पर रखा भोजन क्यों नहीं पक सकता?" य़ह सुनते ही राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने तुरंत बूढ़े बाबा को बुला कर पुरस्कार दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके हर फैसला सोच समझ कर करना चाहिए।
★सुलेना मजुमदार अरोरा★