रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

रतन टाटा ने अपनी जिंदगी में चार प्रमुख चरणों का अनुभव किया, जिनसे उन्होंने सच्ची खुशी का अर्थ समझा।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

पहले चरण में, उन्होंने संपत्ति और संसाधनों का संग्रह किया, लेकिन इससे उन्हें उम्मीद के मुताबिक खुशी नहीं मिली।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

दूसरे चरण में, कीमती वस्तुओं का संग्रह किया, परंतु इनकी चमक अस्थाई साबित हुई।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

तीसरे चरण में, बड़े प्रोजेक्ट्स को हासिल किया, जैसे भारत और अफ्रीका में 95% डीजल सप्लाई का अधिकार और सबसे बड़ी स्टील फैक्ट्री का मालिक बनना, लेकिन इससे भी उन्हें सच्चा आनंद नहीं मिला।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

चौथे चरण में, उनके दोस्त के अनुरोध पर दिव्यांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने का काम किया, जिससे उन्हें अद्वितीय खुशी का अनुभव हुआ।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

जब रतन टाटा ने बच्चों को अपनी हाथों से व्हीलचेयर दी, तो उनके चेहरे की अनोखी खुशी ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

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एक बच्चे ने उनका पैर पकड़ लिया और कहा कि वह उनका चेहरा याद रखना चाहता है ताकि स्वर्ग में मिलने पर उन्हें पहचान सके और धन्यवाद कह सके।

रतन टाटा की सच्ची खुशी की खोज

इस अनुभव ने रतन टाटा के जीवन का नजरिया ही बदल दिया, जिससे उन्हें सच्ची खुशी का अर्थ समझ आया।