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"साधु और बिच्छू की कहानी" में एक साधु बारिश में नाली में बह रहे बिच्छू को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन बिच्छू बार-बार उसे डंक मारता है। साधु फिर भी उसे बचाने में लगे रहते हैं।
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गाँव के वैद्य शर्मा साधु को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन साधु समझाते हैं कि अच्छाई उनका स्वभाव है और वे इसे बदल नहीं सकते।
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साधु का मानना है कि बिच्छू का स्वभाव डंक मारना है और उनका स्वभाव दूसरों की मदद करना। इसलिए, वे बार-बार बिच्छू को बचाने की कोशिश करते हैं।
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वैद्य शर्मा साधु की इस सीख से प्रभावित होते हैं और उनकी बातों को समझते हैं कि हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों।
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गाँव में इस घटना की चर्चा होती है और लोग साधु की अच्छाई से प्रेरित होकर अपने जीवन में इसे अपनाने का संकल्प लेते हैं।
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साधु बच्चों को समझाते हैं कि किसी का स्वभाव बुरा हो सकता है, लेकिन हमें अच्छा बनकर रहना चाहिए। उनके अनुसार, अच्छाई करना हमारा कर्तव्य है।
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गाँव के बच्चे साधु की इस शिक्षा को हमेशा याद रखने का वादा करते हैं और साधु की बातों से प्रेरित होते हैं।
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इस कहानी का मूल संदेश है कि हमें अपने अच्छे स्वभाव को कभी नहीं बदलना चाहिए,
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चाहे हालात कितने भी विपरीत क्यों न हों। साधु की अच्छाई और दृढ़ता हमें दया और मदद के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है।
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