लोटपोट की कहानी : कामचोरी और चालाकी- एक व्यापारी के अस्तबल में एक घोड़ा और एक गधा साथ रहते थे। व्यापारी रोज घोड़े पर सवार होकर अपनी दुकान पर जाता था लेकिन गधे की सवारी वो सिर्फ तब करता था जब उसे कोई भारी माल ढोकर शहर बेचने जाना पड़ता था। बाकी समय गधा इधर उधर घूमता फिरता था । यह सब देखकर घोड़े को लगने लगा कि गधे की जिंदगी उससे अच्छी है।
एक दिन चालक घोड़े ने गधे से कहा , "भाई गधा, तुम तो बड़ी अच्छी किस्मत लेकर इस दुनिया में पैदा हुए हो। महीने में दो चार बार ही तुम्हे काम करना पड़ता है, और मुझे देखो, रोज़ सुबह उठकर, मालिक के साथ दुकान तक दौड़ना पड़ता है। क्या कुछ दिनों के लिए तुम्हारा काम मुझे दे सकते हो, बदले में मेरा काम तुम कर लेना।"
यह सुनकर गधा बोला, "तुम्हे अंदाज़ा नहीं है कि मुझपर कितना बोझ लादा जाता है, भले ही मैं महीने में सिर्फ चार बार काम करता हूं लेकिन उस काम में मेरी सारी ताकत लग जाती है।" घोड़े को गधे की बातों पर यकीन नहीं हुआ।
वो गुस्से में बोला, "अगर सचमुच तुम मेरे दोस्त हो तो जरूर मेरी मदद करोगे।" तब गधे ने कुछ सोचकर कहा, "ठीक है, जब मालिक मेरी पीठ पर बोझ लादेगा तो मैं बीमार होने का नाटक करूँगा और वो तुम्हें मेरी जगह माल ढोने लगा देगा।"
दो दिन के बाद, जब मालिक गधे पर नमक की बोरियां लादने लगा तो गधा बीमार होने का नाटक करते हुए ज़मीन पर लेट गया। यह देखकर मालिक ने वो बोरियां घोड़े पर लादते हुए कहा,"बेचारे गधे को आराम करना चाहिए, आज से माल ढोने का काम इस घोड़े से कराऊँगा।" थोड़ी दूर दौड़ने के बाद घोड़े को पता चल गया कि नमक की दस बोरियां लादकर दौड़ना कितना कठिन काम है।
वो इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने की तरकीब सोचने लगा। तभी उसे एक तालाब दिखाई दिया। पानी पीने के बहाने वो तालाब के पास गया और फिसलने का नाटक करते हुए सारा नमक पानी में बहा दिया। मालिक घोड़े को लेकर घर लौट आया और अगले दिन फिर से दस बोरी नमक घोड़े पर लादकर शहर की ओर चल पड़ा। घोड़े ने फिर से पानी पीने के बहाने तालाब में नमक बहा दिया।
घोड़े की चालाकी मालिक समझ गया। उसने उसे सबक सिखाने की ठान ली। घर वापस लौटकर उसने रेत की बीस बोरियां अच्छी तरह सिल कर घोड़े की पीठ पर चढ़ाया और शहर की तरह चल पड़ा। घोड़ा, फिर से चालाकी करते हुए पानी पीने के बहाने तालाब में जाकर लोटने लगा, लेकिन यह क्या ? रेत गीली होकर और ज्यादा वजनी हो गई और घोड़े को दुगना वजन उठाकर दौड़ना पड़ा।
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कामचोरी और चालाकी का नतीजा बुरा ही होता है।
और पढ़ें :
बाल कहानी : जाॅनी और परी
बाल कहानी : मूर्खता की सजा
बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी