शिक्षाप्रद कहानी (Moral Story) : जैसे को तैसा मिला: एक दिन एक अमीर व्यवसाई को रास्ते में एक भिखारी भीख मांगता हुआ दिखाई दिया। भिखारी की हालत देखकर व्यवसाई को उस पर दया आ गई। उसने भिखारी से पूछा कि उसकी ऐसी दशा क्यों हुई? भिखारी ने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई और कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है जिसके कारण भीख मांगना पड़ रहा है।
लोटपोट की शिक्षाप्रद कहानी : तोते की सीख : एक जंगल में, आम के पेड़ पर एक तोता रहता था। वो हमेशा खुश रहता था। दिन भर वो आम के मीठे मीठे फल खाता और पेड़ की हरी भरी डालियों समें झूलते हुए गाना गाता था, लेकिन फिर ऐसा हुआ कि जंगल में सूखा पड़ गया। वहां के सारे पेड़ पौधे और तालाब सूख गए।
बच्चों को मोटीवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा- एक गांव में एक प्रभु भक्त नाविक रहता था। वह रोज सवेरे उठ कर, नहा धोकर मंदिर जाता और पूजा करने के बाद नाव लेकर यात्रियों को नदी के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार पहुँचाता था। खाली वक्त में वो बस ईश्वर का नाम जपता रहता था। उसकी इतनी ईश्वर भक्ति देखकर गाँव के लोग हैरान रह जाते थे।
शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल:- एक धोबी अपने गधे से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उसे फूलों की माला से सजाता था। एक दिन जब धोबी कपड़ों का गट्ठर धो कर वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक बड़ा सा चमकता पत्थर पड़ा हुआ दिखा। उसने उसे उठा लिया। पत्थर बहुत ही चमकीला और सुंदर था। धोबी ने उसे एक रस्सी से बांधकर गधे के गले में पहना दिया। गधा और ज्यादा सजीला दिखने लगा।
प्रेरणादायक कहानी : रावण का श्राप लंका नामक स्वर्ण मंडित नगरी की पश्चिमी समरभूमि पर घमासान युद्ध चल रहा था। एक ओर रामचन्द्र जी की वानर सेना डटी थी तो दूसरी ओर लंकाधिपति रावण की भयंकर राक्षसी सेना। दोनों सेनाओं के वीर योद्धा प्राणों से जूझ रहे थे। आज समर भूमि में एक अनोखा कोलाहल और विचित्र उत्तेजना व्याप्त थी। वानर सेना के समरनायक स्वयं प्राभु श्रीराम थे जबकि राक्षसी सेना का हौंसला लंकाधिपति महाबली रावण स्वयं युद्ध का संचालन कर रहा था।
Jungle Story भगवान का दूत: उल्लू वन में सिर्फ उल्लू ही रहते थे। इसलिए उन्हें यह पता नहीं था कि उनके सिवा कोई ऐसा पंछी होता है जो दिन में भी देख सकता हो।
एक दिन अचानक उल्लू वन में एक काला, लंबी चोंच वाला कौआ आ पहुँचा। उसने चश्मा पहन रखा था। उसकी गर्दन में एक थैला लटक रहा था।
रात होतेे ही वन के उल्लू झुण्ड बनाकर उस विचित्र पंछी को देखने पहुँचे। एक उल्लू ने पास आकर उससे पूछा, आप कौन है? और कहाँ से आये हैं?
जी हा! आशा और निराशा दोनों सखियां प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित होकर जीवन-पथ पर निरन्तर दौड़ लगाती रहती हैं। कभी आशा आगे निकल जाती है तो कभी निराशा बाजी मार ले जाती हैं। जब आशा जीतने लगती है तो मनुष्य बहुत महत्त्वाकांक्षी हो जाता है। साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये वह जी-जान से परिश्रम करता है। वह सोचने लगता है। कि मेहनत के बल पर वह अवश्य अपनी मंजिल को पा लेगा। इसके विपरीत जब निराशा विजय होने लगती है। तो मनुष्य जीवन से हार मान लेता है। उसे अपने सभी प्रयत्न बेकार लगने लगते हैं।
प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था।
टेकापार के जंगल में जानवरों की खुशी का ठिकाना नहीं था। जंगल का कोना-कोना खुशियों से भर गया था। जंगल के बीचों-बीच एक संुदर-सा हेलीपेड जो बन गया था।
खरगोश, हिरण,शाही,सियार सभी एक साथ उस ओर दौड़े चले जा रहे थे। उनका उत्साह देखते ही बनता था। उनमेें हेलीपेड देखने की होड़-सी लग गई थी।
Hindi Kids Story बंजर पेड़: एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वह तुरन्त आम के पेड़ के पास पहुंच जाता। पेड़ के ऊपर चढ़ना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया में ही सो जाना।