बाल कहानियां : वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते है जो खाने के लिए जिंदा रहते है। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे।
बात तब की है जब हम मेरठ में रहते थे। मैं छठी कक्षा में पढ़ता था और पेटूनंद जो मेरी ही कक्षा में पढ़ते थे। बड़ा ही मजेदार व्यक्तित्व था उनका, एकदम ड्रम जैसा गोल धड़, ऊपर अंडाकार खोपड़ी, मुंडा हुआ सिर और उस पर चुपड़ा कड़वा तेल।
जंगल की कहानी (Jungle Story) दुष्ट दोस्त की दोस्ती :- एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वो बहुत ही दुष्ट और स्वार्थी स्वभाव की थी। इसलिये जंगल के सब पशु पक्षी उससे दूर ही रहते थे। आखिर अकेले रहते रहते एक दिन लोमड़ी ऊब गई। उसने देखा कि जंगल के सभी पशु पक्षी एक दूसरे के साथ मिलजुल कर खेलते कूदते और खुश रहते हैं। लोमड़ी के मन में आया कि अगर उसका भी कोई दोस्त होता तो वह भी उसके साथ दिन भर खेलती और बातें करती।
अच्छी कहानी : एक बार की बात है कि एक चिड़िया की एक कौए से दोस्ती हो गई। एक दिन वह दोनों खाने की तलाश में थे। कौए ने देखा कि, चटाई पर कुछ मिर्चे सूखने के लिए फैलाई हुई है। कौए ने चिड़िया से कहा- वह देख, वह सामने मिर्च हैं। आओ देखें, कौन ज्यादा खा सकता है?
राजा वीरभद्र सिंह के दरबार में एक दरबारी था चन्द्रपाल। वह बहुत ही मक्कार था। उसने राजा पर इस बात का सिक्का जमा रखा था कि वह तलवारों का कुशल पारखी है। उनके गुण दोषों में भेद करना जानता है। चन्द्रपाल के इसी गुण से प्रभावित होकर राजा ने उसे अपने दरबार में नौकरी दी थी।
बाल कहानी : रमेश के पिता पिछले वर्ष ही इस शहर में आये थे। वे काफी बड़ी सरकारी पद पर थे इस लिए घर में हर सुख सुविधा का होना स्वाभाविक ही था। ऊपर से रमेश घर में इकलौता बच्चा था। इससे उसके और भी मजे थे। वह मुँह से जो कुछ भी निकाल देता। उसी समय पूरा हो जाता।
मराठो के सरदार शिवाजी इतिहास में युग पुरूष के नाम से जाने जाते हैं। उन्हें किले जीतने और बनवाने का बड़ा शौक था। जीजी का किला और सामनगढ़ का किला जीत कर इन्होंने नये ढंग से इनका कायाकल्प किया।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) राशि की भूख हड़ताल नहीं…नहीं…नहीं, जब तक ‘मेरा नया बस्ता नहीं आ जाता मैं खाना नहीं खाऊँगी राशि ने चीख कर कहा। ‘पर तुम्हें नये बस्ते की क्या जरूरत है, बेटी?’ माँ ने उसे समझाना चाहा, ‘तुम्हारा बस्ता तो बिल्कुल नया है, प्यारा सा’ उन्होंने बस्ता हाथ में लेकर कहा।
छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। वह सदा अच्छे फल खरीदकर लाता। उन्हें साफ रखता और यदि कभी कोई फल गलसड़ जाता तो वह किसी को नहीं देता, बल्कि उसे फेंक देता।
चंपक वन में भोलू खरगोश रहता था। वह बहुत ईमानदार था। खेती करके गुजारा करता था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक थी। जितना मिल जाता उसी में गुजर-बसर कर लेता था।
सरजू और मुरारी पड़ोसी किसान थे। दोनों अपने अपने खेत में फसल उगाते और सुखपूर्वक रहते। एक हद तक वे एक दूसरे के दुख-सुख के साथी भी थे। खाली समय में वे अक्सर पेड़ की छाया में बैठकर बाते करते थे। और सलाह-मशवरा करते।