भारतीय भूमि में सुपर इंटेलिजेंट बच्चों की कोई कमी नहीं

हम सबने प्रखर बुद्धिमान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन का नाम तो सुना ही होगा, भारत के इतिहास में भी कितने ही ऐसे मेधावी पुरुष तथा स्त्रियों के नाम दर्ज है जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी बुद्धि और तेज से दुनिया को प्रभावित किया और आज भी कर रहें हैं, जैसे अभिमन्यु, चाणक्य, विधोत्तमा, वाचक्नवी गार्गी, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, और मॉडर्न ज़माने की बात करूँ तो ह्यूमन कंप्यूटर मानी जाने वाली शकुंतला देवी।

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There is no dearth of super intelligent kids in the Indian land

हम सबने प्रखर बुद्धिमान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन का नाम तो सुना ही होगा, भारत के इतिहास में भी कितने ही ऐसे मेधावी पुरुष तथा स्त्रियों के नाम दर्ज है जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी बुद्धि और तेज से दुनिया को प्रभावित किया और आज भी कर रहें हैं, जैसे अभिमन्यु, चाणक्य, विधोत्तमा, वाचक्नवी गार्गी, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, और मॉडर्न ज़माने की बात करूँ तो ह्यूमन कंप्यूटर मानी जाने वाली शकुंतला देवी।

अब तो भारत भूमि में कई बहुत छोटे बच्चों का भी अक्सर जिक्र किया जाता है जिन्होंने अपने शैशवकाल से ही तेज बुद्धि का परिचय देकर पूरे विश्व में अपनी पहचान भी दर्ज की और भारत का नाम भी रौशन किया। कुछ वर्ष पहले कौटिल्य पंडित की खूब चर्चा हुई थी जिसकी बुद्धि और स्मृति के कारण उसे गूगल बॉय का नाम दिया गया था ।

पाँच साल की उम्र में उसने अर्थव्यवस्था, राजनीति, भूगोल तथा कई और विषयों के कठिन प्रश्नों के स्टीक उत्तर देकर दुनिया को हैरान कर दिया था। कौटिल्य के प्रसिद्धी के कुछ वर्ष बाद ही एक और वंडर बॉय, गुरु उपाध्याय का जिक्र होने लगा। उसे भी गूगल बॉय पुकारा जाता है। गुरु ने कौटिल्य से भी छोटी उम्र में अपनी बुद्धि और स्मरण शक्ति से दुनिया को चौंकाया था। चौदह जुलाई 2016 में जन्मा गुरु, वृंदावन मथुरा का रहने वाला वो बच्चा है जिसे सिर्फ दो साल की उम्र में अपनी ग़ज़ब की याददाश्त से दुनिया भर के तमाम देशों और उनकी राजधानी के नाम कंठस्थ रहे और वर्ल्ड मैप में उन देशों की भौगोलिक स्थिति भी बिल्कुल स्टीक जानकारी देकर उसने सबको चौंका दिया था और उस उम्र में उसे दुनिया भर की नदियों और समुन्द्र के नाम भी याद थे। वो

साठ देशों के झंडे पहचान जाते थे और पैंतीस यूपीएससी परिक्षा के प्रश्न के ज़वाब भी आसानी से दे देते थे। गुरु के पापा अरविंद उपाध्याय और माता प्रिया उपाध्याय दोनों इंटेलिजेंट है और सिविल परीक्षा की तैयारी के दौरान जब वे एक दूसरे से पढ़ाई सम्बन्धी बातचीत करते थे तो दो वर्ष का गुरु ध्यान से उनकी बातें सुनता था और फिर जब वे दोनों एक दूसरे से सवाल ज़वाब करते तो उनसे पहले गुरु ज़वाब दे देता था। उसने अँग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में पूछे गए कठिन प्रश्नों का ज़वाब चुटकियों में देकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह बनाई।

ग्लोबल रिकॉर्ड की चिल्ड्रन कैटेगरी में गुरु को मंजूरी देते हुए उस संस्थान ने बताया कि गुरु ने एक मिनट में 17 देशों के राष्ट्रीय झंडों की पहचान की थी। आज वो वंडर गूगल बॉय 6 साल का है। भारत देश में ना प्रतिभाओं की कमी है ना मेधाविओं की। कौन जाने कल को इन्हीं में से कोई नया अल्बर्ट आइंस्टीन बन कर दिखाए।

★सुलेना मजुमदार अरोरा★