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अग्रसेन की बावली नई दिल्ली के आधुनिक शहर के बीचों-बीच स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर है, जो 10वीं सदी की मानी जाती है और राजा अग्रसेन के नाम पर बनाई गई है।
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यह बावली 108 सीढ़ियों वाली एक जलकुंड या स्टेपवेल है, जो पानी की उपलब्धता को आसान बनाने के लिए प्राचीन काल में निर्मित की गई थी। इसे 14वीं सदी में अग्रवाल समुदाय द्वारा पुनर्निर्मित किया गया।
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बावली की वास्तुकला विशेष रूप से सुंदर है, जिसमें मेहराबों और कक्षों की नक्काशी इसकी उपयोगिता और सौंदर्य दोनों को दर्शाती है।
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बावली से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां भी हैं, जैसे आगंतुकों को अजीब अहसास होना। यह गूंज और संरचना की विशेषताओं के कारण होता है, न कि किसी अलौकिक कारण से।
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यहाँ एक प्राचीन मस्जिद के खंडहर भी हैं, जिसमें बौद्ध चैत्य की नक्काशी है। हालांकि मस्जिद की छत ध्वस्त हो चुकी है, लेकिन खंभे आज भी खड़े हैं, जो इस स्थान की विविधता और समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं।
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पर्यटक सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक बावली का मुफ्त में भ्रमण कर सकते हैं, और यहां की अद्भुत पत्थर की नक्काशी का आनंद ले सकते हैं।
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दिल्ली मेट्रो से मंडी हाउस या जनपथ स्टेशन तक पहुंचकर, टैक्सी या पर्यटन बसों के जरिए आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है।
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यह जगह दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जो भारत के गौरवशाली इतिहास और वास्तुकला के प्रति गर्वित महसूस कराती है। दिल्ली जाने पर इसे यात्रा सूची में जरूर शामिल करें।
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