जामा मस्जिद: एक ऐतिहासिक धरोहर की झलक

ऐतिहासिक धरोहर की झलक

जामा मस्जिद, भारत की सबसे बड़ी और भव्य मस्जिदों में से एक है, जो पुरानी दिल्ली के केंद्र में स्थित है और 1656 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाई गई थी।

मस्जिद का निर्माण

मस्जिद का निर्माण 1644 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में 12 साल लगे, जिसमें लगभग 1 मिलियन रुपये की लागत आई।

जामा मस्जिद की वास्तुकला

जामा मस्जिद की वास्तुकला भारतीय, फारसी और तिमुरी शैली का अनोखा मिश्रण है, जिसमें तीन संगमरमर के गुंबद और 40 मीटर ऊंची दो मीनारें हैं।

मस्जिद का मुख्य आंगन

मस्जिद का मुख्य आंगन 25,000 से अधिक उपासकों को समेट सकता है और इसे "शुक्रवार की मस्जिद" के नाम से भी जाना जाता है।

प्रार्थना कक्ष

प्रार्थना कक्ष में 18,000 वर्ग फुट का विशाल क्षेत्र है और यहां का मुख्य आंगन एक संगमरमर के टैंक के साथ वजू के लिए उपयोग किया जाता है।

मस्जिद का मुख

मस्जिद का मुख मक्का की ओर है, और यह इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है। गैर-मुस्लिम आगंतुकों को प्रार्थना के समय के अलावा प्रवेश की अनुमति है।

मस्जिद में प्रवेश

मस्जिद में प्रवेश के लिए सिर, कंधे और पैर ढके होने चाहिए, और परिसर में उचित कपड़े किराए पर लिए जा सकते हैं।

फोटोग्राफी

मस्जिद परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन इसके लिए एक मामूली शुल्क देना होता है।

भारत की सांस्कृतिक

जामा मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी एक जीवंत प्रतीक है।

पुरानी दिल्ली

पुरानी दिल्ली की यात्रा के दौरान जामा मस्जिद को देखने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह भव्यता, शांति और धार्मिक महत्व के लिए जानी जाती है।