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दिल्ली का जंतर मंतर खगोल विज्ञान का एक ऐतिहासिक केंद्र है जिसे महाराजा जय सिंह द्वितीय ने 1724 में बनवाया था। इसे ग्रहों, तारों, और समय की गणना के लिए बनाया गया था।
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जंतर मंतर में 13 प्रमुख खगोलीय उपकरण हैं, जैसे सम्राट यंत्र, राम यंत्र, जयप्रकाश यंत्र और मिश्र यंत्र, जिनका उपयोग खगोलीय गणनाओं में किया जाता था।
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सम्राट यंत्र एक विशाल त्रिकोणीय घड़ी है जो समय को घंटों, मिनटों और सेकंड्स में मापने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
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आजकल जंतर मंतर खगोल विज्ञान के लिए उपयोग में नहीं आता क्योंकि इसके आसपास ऊंची इमारतों के कारण सूर्य की रोशनी सही तरह से नहीं पड़ती।
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जंतर मंतर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है और यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है।
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बच्चों के लिए जंतर मंतर विशेष रूप से रोचक है क्योंकि यहां खगोलीय विज्ञान और गणित की जानकारी मिलती है।
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जंतर मंतर की यात्रा के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त है, और यह स्थान भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए मामूली शुल्क पर खुला है।
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जंतर मंतर की वास्तुकला भारतीय विज्ञान और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है, जो आज भी लोगों को आकर्षित करता है।
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फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन इसके लिए मामूली शुल्क देना होता है।
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जंतर मंतर की यात्रा बच्चों के साथ की जा सकती है क्योंकि यह ज्ञानवर्धक और रोचक स्थल है।
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