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एक घने जंगल में चिंटू नाम का नन्हा चीता रहता था, जिसे अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता पर बहुत गर्व था और वह अपने दोस्तों को चिढ़ाता रहता था।
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चिंटू के दोस्त मोनू बंदर, गोलू भालू और पिंकी खरगोश ने उसे समझाया कि तेज़ी ही सब कुछ नहीं होती, लेकिन चिंटू ने उनकी बात नहीं मानी।
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एक दिन चिंटू ने अपने दोस्तों को रेस की चुनौती दी, यह तय किया कि जो जंगल के बड़े तालाब तक पहले पहुँचेगा, वही सबसे तेज़ होगा।
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रेस के दौरान एक बड़े पेड़ की टहनियों में फँस जाने के कारण चिंटू को समझ आ गया कि अकेले तेज़ी से कुछ नहीं होता।
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मोनू बंदर ने पेड़ पर चढ़कर चिंटू को बचाया, गोलू भालू ने पेड़ हटाया, और पिंकी खरगोश ने उसे हौसला दिया।
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इस घटना से चिंटू ने सीखा कि समझदारी और दोस्तों की मदद से ही मुश्किलें हल होती हैं।
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चिंटू ने अपने दोस्तों से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह घमंड नहीं करेगा और हमेशा दोस्तों की बात सुनेगा।
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कहानी का संदेश है कि घमंड से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि दोस्तों की मदद और समझदारी से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
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यह कहानी बच्चों को सच्ची दोस्ती, एकता और समझदारी की महत्ता सिखाती है।
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