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कहानी "संगति का असर" जंगल में रहने वाले दो दोस्तों, चिंपू बंदर और मोंटी भालू, की है, जिनकी संगति ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया।
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चिंपू मेहनती और चंचल था, जो हमेशा कुछ नया सीखने और दूसरों की मदद करने में विश्वास रखता था, जबकि मोंटी सुस्त और मस्तीखोर था।
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मोंटी की संगति में समय बिताते हुए, चिंपू की आदतें बदल गईं, और उसने काम छोड़कर मस्ती में अधिक समय व्यतीत करना शुरू कर दिया।
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एक दिन जंगल में मक्खियों का झुंड फैल गया, जिससे सभी जानवरों को सतर्क रहने की सलाह दी गई। चिंपू ने इस चेतावनी को हल्के में लिया।
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भारी बारिश के कारण जब सभी जानवरों ने खाने का इंतजाम करना शुरू किया, तो चिंपू और मोंटी के पास न तो खाना था और न ही कोई योजना।
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चिंपू ने महसूस किया कि मोंटी के साथ अधिक समय बिताकर उसने गलती की, और मोंटी ने भी अपनी आलसी आदतों पर पछतावा किया।
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दोनों ने मिलकर एक नई योजना बनाई, चिंपू ने फिर से जल्दी उठना शुरू किया और मोंटी ने भी साफ-सफाई में ध्यान देना शुरू किया।
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कुछ ही दिनों में, दोनों ने मिलकर फिर से अपने जीवन को पटरी पर ला दिया, और जंगल में सबसे समझदार जोड़ी कहलाने लगे।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि अच्छी संगति से आप और बेहतर बन सकते हैं, जबकि बुरी संगति आलस और नुकसान भर देती है।
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यह भी सिखाया गया है कि यदि हम गलती कर भी लें, तो समय रहते उसे सुधारना ही समझदारी है।
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