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एक दुखी लड़की रिया को जीवन का महत्वपूर्ण सबक बूढ़े मास्टर से मिला, जिसने उसकी सोच को बदल दिया।
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मास्टर ने रिया को पहले एक गिलास पानी में नमक डालकर पिलाया, जिसका स्वाद बहुत नमकीन और बुरा था।
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फिर वही नमक नदी में डालकर उसे पानी पिलाया, जिसका स्वाद ताज़ा और अच्छा था।
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मास्टर ने समझाया कि ज़िंदगी के दुख नमक की तरह होते हैं—उनकी मात्रा नहीं बदलती, लेकिन हमारी सोच से उनका प्रभाव बदल जाता है।
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मास्टर ने बताया कि अगर हमारी सोच छोटी होगी, तो दुख हमें बहुत परेशान करेंगे, जैसे गिलास में नमक ने पानी को बुरा बना दिया।
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लेकिन अगर हमारी सोच नदी की तरह बड़ी और खुली होगी, तो वही दुख हमें छोटे लगेंगे, जैसे नदी का पानी अच्छा रहा।
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रिया ने मास्टर की सीख को अपनाया और अपनी सोच को बड़ा किया, जिससे उसके दुख छोटे लगने लगे और वह फिर से खुश रहने लगी।
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रिया ने गाँव के बच्चों को भी यह सीख दी, जिससे सभी ने सकारात्मक सोच अपनाई और खुश रहने लगे।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी सोच को बड़ा और सकारात्मक रखना चाहिए ताकि दुख हमें परेशान न करें।
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रिया के अनुभव से प्रेरणा लेकर, हमें भी अपनी सोच को नदी की तरह खुला बनाना चाहिए ताकि हम हर परेशानी को आसानी से पार कर सकें।
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