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एक प्रेरणादायक कहानी में एक बूढ़ी अम्मा का वर्णन है, जो माँ दुर्गा की अनन्य भक्त थीं और अपनी भक्ति से उन्हें प्रसन्न कर देती हैं।
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अम्मा को आँखों से दिखाई नहीं देता था, लेकिन उनकी भक्ति और निष्ठा ने माँ दुर्गा को प्रभावित किया, जिससे माँ दुर्गा ने उन्हें एक वरदान माँगने का अवसर दिया।
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अम्मा ने पहले कुछ माँगने के बारे में नहीं सोचा था, इसलिए उन्होंने अपने बेटे, बहू और सहेली से सलाह ली।
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बेटे ने पैसे माँगने की सलाह दी, बहू ने पोते-पोती की इच्छा जताई और सहेली ने आँखों की ज्योति की सलाह दी।
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अम्मा ने सबकी इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा वरदान माँगा जिससे सभी की आशाएँ पूरी हो सकें।
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उन्होंने माँ दुर्गा से प्रार्थना की कि वह अपने पोते-पोती को सोने की कटोरी में दूध और खीर खाते हुए अपनी आँखों से देख सकें।
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माँ दुर्गा अम्मा की बुद्धि और सरलता से प्रभावित हुईं और उन्हें सभी इच्छाएँ पूरी होने का आशीर्वाद दिया।
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अम्मा को आँखों की ज्योति मिल गई और वह अपने परिवार के साथ सुख-सुविधा में रहने लगीं।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए।
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कहानी बताती है कि सही निर्णय से सभी की इच्छाएँ पूरी की जा सकती हैं और जीवन में संतोष प्राप्त किया जा सकता है।
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