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मीरा एक आलसी लड़की थी, जिसकी मां चाहती थी कि वह कपास से धागा बनाना सीखे ताकि वे इसे बाजार में बेच सकें, लेकिन मीरा ऐसा करने में असमर्थ थी।
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एक दिन, मीरा की मां ने उसे डांटा, जिसके बाद मीरा रोने लगी। उस समय रानी ऐश्वर्या वहां से गुजर रही थीं और उन्होंने मीरा की मां से मीरा के रोने का कारण पूछा।
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मीरा की मां ने रानी से कहा कि मीरा हमेशा धागा बुनना चाहती थी, लेकिन उनके पास कपास नहीं था। रानी ने मीरा को अपने महल में ले जाने का प्रस्ताव दिया।
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रानी ने मीरा को कपास के तीन बड़े कमरे दिखाए और कहा कि अगर वह धागा बना देगी, तो रानी अपने बेटे की शादी मीरा से करवा देगी।
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मीरा ने तीन दिन तक कुछ नहीं किया और सिर्फ रोती रही। तीसरे दिन, तीन बूढ़ी महिलाएं आईं और मीरा की मदद करने का प्रस्ताव दिया, बशर्ते मीरा उनकी शर्तें माने।
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तीनों महिलाओं ने अपनी-अपनी विशेषताओं का उपयोग करते हुए कपास से धागा बना दिया। मीरा ने रानी को बताया कि काम पूरा हो गया है।
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रानी बहुत खुश हुई और मीरा की शादी अपने बेटे से करवाई। मीरा ने तीनों महिलाओं को शादी में बुलाया और उन्हें रानी और राजकुमार से अपने रिश्तेदार के रूप में मिलवाया।
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मीरा ने महिलाओं से कहा कि वे कभी किसी को न बताएं कि धागा उन्होंने बनाया था। राजकुमार ने यह सुन लिया और मीरा से नाराज हो गया।
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मीरा ने अपनी गलती का अहसास किया और तीनों महिलाओं से धागा बनाना सीखा। उसकी मेहनत देखकर राजकुमार ने उसे माफ कर दिया और वे खुशी-खुशी रहने लगे।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य को छोड़कर काम सीखना चाहिए, क्योंकि काम की सफलता में ही असली खुशी मिलती है।
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