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"अब पछताए होत क्या" एक प्रेरक जंगल की कहानी है जिसमें एक चतुर लोमड़ी, मेहनती हिरण, और लापरवाह भालू की कहानी बताई गई है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि समय पर मेहनत और तैयारी करना कितना जरूरी है, विशेषकर सर्दियों के कठिन समय के लिए।
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लोमड़ी ने जंगल के जानवरों को सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने की सलाह दी, लेकिन भालू ने इसे नजरअंदाज कर दिया और आलसी बना रहा।
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हिरण ने लोमड़ी की सलाह मानी और मेहनत करके सर्दियों के लिए पर्याप्त भंडार जमा किया, जिससे अन्य जानवर भी प्रेरित हुए।
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जब सर्दी आई, तो भालू के पास खाने के लिए कुछ नहीं था और वह ठंड और भूख से परेशान हो गया, जबकि हिरण और लोमड़ी ने अपने भंडार का आनंद लिया।
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भालू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मदद के लिए लोमड़ी के पास गया, लेकिन उसे समझाया गया कि उसे अपनी जिम्मेदारी खुद लेनी होगी।
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कहानी के अंत में, भालू ने अपनी आदतें बदलीं और अगली सर्दी के लिए मेहनत करना शुरू किया, जिससे जंगल के अन्य जानवरों को भी प्रेरणा मिली।
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यह कहानी हमें समय के महत्व और समय पर की गई मेहनत की आवश्यकता का सबक देती है,
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जिससे हम पछतावे से बच सकते हैं।
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