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यह कहानी सुरभि हिरण और मीना लोमड़ी की है, जो सूखे के दौरान जंगल में पानी बचाने की कोशिश करते हैं।
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सुरभि अपने झुंड के साथ मिलकर मेहनत से नदी के झरने को साफ करता है, जिससे पानी फिर से बहने लगता है।
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मीना लोमड़ी अपनी चालाकी से पानी ढूंढने की कोशिश करती है, लेकिन एक गुफा में भालू से सामना होने पर उसे अपनी गलती का अहसास होता है।
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सुरभि मीना को उसकी गलती के बावजूद माफ कर देता है और उसे एकता और मेहनत का महत्व समझाता है।
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सभी जानवर मिलकर पानी का सही वितरण करते हैं, जिससे जंगल फिर से हरा-भरा हो जाता है।
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भालू भी अपनी गलती मानकर सभी के साथ मिलकर पानी बचाने में शामिल होता है।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि मेहनत और एकता से ही समस्याओं का समाधान हो सकता है, न कि चालाकी से।
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यह कहानी जीवन में सहयोग और मेहनत की शक्ति को दर्शाती है
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और प्रेरणा देती है कि एकजुट होकर कार्य करना ही असली ताकत है।
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