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लेख में एक जंगल की कहानी है, जो बच्चों को "अपना सा मुँह लेकर रह जाना" मुहावरे का अर्थ समझाती है। इस मुहावरे का मतलब है जब हम घमंड में बढ़ा-चढ़कर बातें करते हैं, लेकिन अंत में असफल होकर शर्मिंदा होना पड़ता है।
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कहानी का मुख्य पात्र मोंटू बंदर है, जो अपनी अकल पर घमंड करता है और खुद को जंगल का सबसे स्मार्ट जानवर मानता है। एक दिन वह उड़ने की शेखी बघारता है, जिसे वह पक्षियों की तरह आसान मानता है।
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मोंटू अपनी बात साबित करने के लिए केले के पत्तों से पंख बनाकर उड़ने की कोशिश करता है। वह बरगद की पहाड़ी से छलांग लगाता है, लेकिन केले के पत्ते उड़ने में असमर्थ होते हैं।
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गुरुत्वाकर्षण के कारण मोंटू नीचे कीचड़ में गिर जाता है, जिससे पूरा शरीर कीचड़ से सन जाता है। यह दृश्य देखकर जंगल के अन्य जानवर हंसने लगते हैं।
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मोंटू की असफलता के बाद उसे शर्मिंदगी महसूस होती है और वह बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है। उसका घमंड चकनाचूर हो जाता है।
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कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें झूठा घमंड नहीं करना चाहिए और अपनी खूबियों को पहचानना चाहिए।
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हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और अपनी खासियतों पर ध्यान देना चाहिए, बजाय दूसरों की नकल करने के।
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बड़ों की सलाह को मानना महत्वपूर्ण है। अगर मोंटू ने गज्जू हाथी की सलाह मानी होती, तो उसे शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ती।
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यह कहानी बच्चों को यह याद दिलाती है कि हमें कथनी से ज्यादा करनी में विश्वास रखना चाहिए।
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लेख में अन्य जंगल की कहानियों के संदर्भ भी दिए गए हैं, जो बच्चों के लिए मनोरंजक और शिक्षाप्रद हो सकती हैं।
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