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यह कहानी एक जिज्ञासु युवक अमर की है जो भगवान बुद्ध से मानव जीवन के असली मूल्य को जानना चाहता है।
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भगवान बुद्ध ने अमर को एक चमकदार पत्थर देकर बाजार में उसकी कीमत पता करने को कहा, लेकिन उसे बेचने से मना किया।
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अलग-अलग लोग जैसे फलवाला, सब्जीवाला, सुनार और जौहरी उस पत्थर की अलग-अलग कीमत लगाते हैं, जो उनकी अपनी समझ और हैसियत पर निर्भर करती है।
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बुद्ध ने अमर को समझाया कि जैसे पत्थर की कीमत लोगों की समझ के अनुसार बदलती है, वैसे ही मानव जीवन का मूल्य भी दूसरों की नज़रों में उनकी समझ के अनुसार बदलता है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपनी असली कीमत खुद पहचाननी चाहिए और दूसरों की राय से प्रभावित हुए बिना आत्मविश्वास के साथ जीना चाहिए।
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अमर ने इस अनुभव से सीखा कि वह एक अनमोल हीरा है और उसे अपनी कीमत खुद समझनी है, न कि दूसरों की सीमित समझ के आधार पर।
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इस कहानी से यह भी सिखने को मिलता है कि धैर्य और आत्मविश्वास के साथ हमें अपनी ताकत पर भरोसा रखना चाहिए।
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अंत में, अमर ने अपनी कीमत को पहचान लिया और आत्मविश्वास के साथ जीवन में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया, जिससे लोग उसे "हीरा अमर" कहने लगे।
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कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि हर इंसान अनमोल है और हमें अपनी चमक को पहचानने की जरूरत है।
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