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यह कहानी सक्षम नाम के एक लड़के की है जो अपनी हीन भावना के कारण अपने सहपाठी अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिश करता है।
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सक्षम बेईमानी से परीक्षा के पेपर चुराकर पहला स्थान हासिल करता है, लेकिन उसे अपनी जीत में खुशी नहीं मिलती।
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अर्जुन की सच्चाई और अच्छाई सक्षम को अपनी गलतियों का एहसास कराती हैं, जिससे वह अपनी चीटिंग कबूल करता है।
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सक्षम अपनी गलती मानकर सजा स्वीकार करता है और ईमानदारी का रास्ता अपनाता है।
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कहानी हमें सिखाती है कि असली खुशी सच्चाई और मेहनत में होती है, जबकि बेईमानी से मिली जीत क्षणिक होती है।
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सक्षम की दोस्त मेघा और अर्जुन उसे सही रास्ते पर लाने में मदद करते हैं।
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स्कूल प्रबंधन सक्षम की सच्चाई को सराहता है और उसे दोबारा परीक्षा देने का मौका देता है।
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अंततः सक्षम समझ जाता है कि मेहनत और ईमानदारी से मिली सफलता ही सच्ची जीत है।
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कहानी से यह भी सीख मिलती है कि अपनी गलतियों को मानना और सुधार करना एक बड़ी ताकत होती है।
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सच्चे दोस्त और उनकी अच्छाई हमें सही रास्ते पर ला सकते हैं।
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