Read Full Story
हिमालय की ऊँची पहाड़ियों में एक अनोखा वृक्ष था, जहाँ वानरों का समूह रहता था। बजरंगी नामक वानर अपने बल और बुद्धि के लिए प्रसिद्ध था और सभी का नेता था।
Read Full Story
बजरंगी ने अपने साथियों को सावधान किया था कि नदी के ऊपर वाली टहनियों पर कोई फल न छोड़ें, ताकि इंसानों तक न पहुँचे और मुसीबत खड़ी न हो।
Read Full Story
एक दिन, तेज हवा के कारण एक पका फल नदी में गिर गया और राजा रणवीर तक पहुँच गया। राजा ने फल की सुगंध और स्वाद को पसंद किया और वृक्ष का पता लगाने का आदेश दिया।
Read Full Story
राजा के सिपाही वृक्ष पर पहुँचे और वानरों को भगाने की कोशिश की, जिससे वानरों पर संकट आ गया।
Read Full Story
बजरंगी ने अपने साथियों को बचाने के लिए खुद को पुल की तरह फैलाकर वानरों को सुरक्षित निकालने में मदद की, लेकिन इस प्रक्रिया में उसका शरीर बुरी तरह से घायल हो गया।
Read Full Story
राजा रणवीर ने बजरंगी की वीरता देखी और उसे महल में लाकर चिकित्सा का प्रबंध किया। बजरंगी ने अपनी अंतिम सांसों में अपने साथियों को सुरक्षित रहने का संदेश दिया।
Read Full Story
राजा ने बजरंगी की वीरता को सलाम किया और उसकी याद में एक स्मारक बनवाया। वानरों ने भी अपने नेता को श्रद्धांजलि दी।
Read Full Story
इस घटना के बाद, राजा ने वृक्ष को संरक्षित करने और वानरों को परेशान न करने का आदेश दिया। वानरों ने एक नया नेता चुना, जो बजरंगी के दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
Read Full Story
कहानी बलिदान, साहस और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देती है, जिसमें दूसरों की भलाई के लिए अपने हितों को त्यागने का महत्व बताया गया है।
Read Full Story
यह कहानी जीवन का सबक देती है कि सावधानी और समझदारी से खतरे से बचा जा सकता है, और वीरता हमेशा याद रखी जाती है।
Read Full Story