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जंगल की यह कहानी बंदरों पर आधारित एक प्रयोग की है, जिसमें बंदरों को केले पाने के लिए सीढ़ी चढ़ने पर करंट और पानी की सजा दी जाती थी, जिससे वे डर गए।
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पुराने बंदरों ने नए बंदरों को बिना वास्तविक खतरे के डर सिखाया, इस प्रकार अंधविश्वास और सांस्कृतिक प्रशिक्षण का उदाहरण प्रस्तुत किया।
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नए बंदर भी बिना कारण सीढ़ी चढ़ने से डरते रहे, क्योंकि उन्होंने पुराने बंदरों से यही सीखा कि सीढ़ी चढ़ने पर खतरा है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि बिना सोचे-समझे परंपराओं का पालन नहीं करना चाहिए और अपनी समझ से समस्या का समाधान तलाशना चाहिए।
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कहानी के अंत में, मुन्ना नामक छोटे बंदर ने सीढ़ी को ठीक कर केले प्राप्त किए, यह दिखाते हुए कि डर और परंपराओं को तोड़कर सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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वैज्ञानिकों ने इस व्यवहार को 'सांस्कृतिक प्रशिक्षण' का उदाहरण माना, जो ऑफिस में नए कर्मचारियों को सिखाए जाने वाले नियमों जैसा है।
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कहानी प्रेरणादायक है और बच्चों और बड़ों दोनों के लिए सीखने योग्य है, कि जिज्ञासा और समझ से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
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यह कहानी बताती है कि कैसे परंपराओं और डर का पालन बिना सोचे-समझे किया जाता है,
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जिससे सकारात्मक बदलाव में बाधा उत्पन्न होती है।
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