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एक घने जंगल में भीमा नामक एक बड़ा और ताकतवर हाथी रहता था, जिसे अपनी शक्ति का घमंड था और वह छोटे जानवरों को डराता था।
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भीमा ने एक दिन एक बंदर को परेशान करने के लिए पेड़ को हिलाया, लेकिन बंदर ने उसे चेतावनी दी कि वह अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करे।
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जल्द ही, भीमा एक दलदल में फँस गया, और जितना बाहर निकलने की कोशिश करता, उतना ही गहरा फँसता जाता।
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उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि केवल ताकत से सब कुछ नहीं जीता जा सकता और उसने मदद के लिए अपने जंगल के दोस्तों को पुकारा।
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शेर, लोमड़ी, बंदर और खरगोश ने मिलकर एक योजना बनाई और भीमा को दलदल से बाहर निकाला।
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बंदर ने लताएँ इकट्ठा कीं, खरगोश ने उन्हें बांधा, लोमड़ी ने लकड़ियाँ लगाईं, और शेर और भालू ने रस्सी खींचकर भीमा को बचाया।
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इस कहानी से सीख मिलती है कि समझदारी, दोस्ती और सहयोग ताकत से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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यह कहानी हमें अहंकार से बचने और दूसरों की ताकत को समझने की प्रेरणा देती है।
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दोस्तों की मदद से भीमा ने सीखा कि अकेली ताकत कुछ नहीं होती; दोस्ती सबसे बड़ी ताकत होती है।
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