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एक सुबह प्रदीप अपने घर से टहलने निकला और उसे दो छोटे कुत्ते के पिल्ले मिले, जो हाल ही में गली की कुतिया भोली के चार बच्चों में से थे।
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पड़ोस की एक लड़की ने भोली और उसके नवजात बच्चों के लिए एक गत्ते का डिब्बा और कंबल रखा ताकि वे ठंड से बच सकें।
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प्रदीप ने पिल्लों को बिस्कुट खिलाया, जिसे देखकर भोली भी आगे आई, लेकिन उसके लिए कुछ नहीं बचा था। प्रदीप की मां ने भोली को ब्रेड दी।
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प्रदीप की साइकिल बिना ताले के बाहर खड़ी थी, जिसे एक लड़के ने चुराने की कोशिश की।
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प्रदीप ने चोर का पीछा किया और चिल्लाना शुरू किया, जिससे भोली ने स्थिति को भांप लिया और चोर के पीछे दौड़ी।
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भोली ने चोर की पैंट पकड़कर उसे गिरा दिया, जिससे चोर पकड़ा गया। आसपास के लोग भी मदद के लिए आ गए।
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प्रदीप ने भोली के साहस की प्रशंसा की, हालांकि भोली को चोट लगी थी, लेकिन उसके चेहरे पर डर नहीं था।
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प्रदीप को लगा कि भोली ने उसकी और उसके बच्चों की मदद का बदला चुका दिया है।
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प्रदीप की साइकिल, जो उसके जन्मदिन पर पिता ने दी थी, अब भोली का उपहार बन गई थी।
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