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यह कहानी चूहों और बिल्ली के बीच की एक प्रसिद्ध और शिक्षाप्रद कथा है, जो हमें सिखाती है कि केवल एक अच्छा विचार होना काफी नहीं है, बल्कि उसे लागू करने का सही तरीका भी होना चाहिए।
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एक विशाल महल में सैकड़ों चूहे बिना किसी डर के खुशी से रहते थे, लेकिन उनकी खुशी तब खत्म हो गई जब एक भयंकर बिल्ली ने महल में प्रवेश किया और उनका जीवन संकट में डाल दिया।
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बिल्ली के आने के बाद, चूहे भयभीत हो गए और भोजन की कमी के कारण कमजोर हो गए। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए उन्होंने एक सभा बुलाई।
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सभा में सबसे बूढ़े चूहे, मोतीलाल ने सुझाव दिया कि बिल्ली के गले में घंटी बांध दी जाए ताकि उसकी आहट सुनकर चूहे समय पर भाग सकें।
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मोतीलाल के सुझाव पर सभी चूहे बेहद खुश हुए और मानो उन्होंने कोई बड़ी लड़ाई जीत ली हो, लेकिन इस योजना के क्रियान्वयन पर कोई विचार नहीं किया गया।
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चिंटू नामक एक बुद्धिमान चूहे ने सवाल उठाया कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा, जिससे सभी चूहे निरुत्तर हो गए और उनका उत्साह ठंडा पड़ गया।
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कहानी की मुख्य सीख यह है कि किसी भी समस्या के समाधान के लिए केवल एक अच्छा विचार होना पर्याप्त नहीं है; उसे पूरा करने का सही तरीका भी होना चाहिए।
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यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि उत्साह में बनाई गई योजनाएँ व्यवहारिक रूप से असंभव हो सकती हैं,
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इसलिए हमें हमेशा सोच-समझकर योजना बनानी चाहिए।
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