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यह कहानी बादशाह अकबर और उनके चतुर सलाहकार बीरबल की है, जिसमें अकबर बीरबल की चतुराई की परीक्षा लेने की योजना बनाते हैं।
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अकबर ने सभी मंत्रियों को एक-एक अंडा दिया और उन्हें तालाब से अंडा लाने का नाटक करने को कहा, ताकि बीरबल को फंसाया जा सके।
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जब बीरबल की बारी आई, तो उसने सोचा कि तालाब में अंडे कैसे हो सकते हैं और यह समझ गया कि यह एक मजाक है।
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बीरबल ने तालाब से बाहर आकर मुर्गे की आवाज निकालनी शुरू की, जिससे दरबार में सब लोग हंसने लगे।
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अकबर ने जब बीरबल से इसका कारण पूछा, तो बीरबल ने कहा कि मुर्गा अंडे नहीं देता, इसलिए उसने मुर्गा बनना चुना।
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बीरबल की इस मजेदार प्रतिक्रिया ने दरबार में सभी को हंसने पर मजबूर कर दिया और अकबर को भी हंसी आ गई।
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अकबर ने अंततः स्वीकार किया कि वह बीरबल की चतुराई के आगे हार गए हैं और बीरबल ने उन्हें फिर से चौंका दिया।
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कहानी बच्चों के लिए यह सीख देती है कि बुद्धि का सही उपयोग करना चाहिए और सच्चाई ही सबसे बड़ी ताकत है।
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बीरबल की चतुराई और हास्यपूर्ण प्रतिक्रिया ने अकबर की साजिश को मनोरंजक बना दिया, जिससे सभी ने आनंद लिया।
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कहानी यह भी सिखाती है कि कभी-कभी मजाक करना अच्छा होता है, जैसे बीरबल ने मुर्गे की आवाज निकालकर किया।
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