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इस कहानी में एक लालची तोते 'तोताराम' की कहानी है, जो अपने लालच के कारण मुसीबत में फँस जाता है।
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तोताराम जंगल के 'हरियाली वन' में रहता था और अक्सर किसान के बाग से अमरूद चुराता था, जबकि उसका दोस्त बुद्धू उल्लू उसे इस काम से मना करता था।
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बुद्धू उल्लू ने तोताराम को चेतावनी दी थी कि किसान उसे फँसाने के लिए कोई योजना बना सकता है, लेकिन तोताराम ने उसकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया।
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एक दिन, किसान ने एक बड़ा और रसीला अमरूद पेड़ पर छोड़ दिया और उसके नीचे एक बर्तन रखा जिसमें गोंद था, जिसे तोताराम ने शहद समझ लिया।
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तोताराम ने लालच में वह गोंद खा लिया और उसमें फँस गया, जिससे वह निकल नहीं पाया।
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किसान ने तोताराम को उसके लालच के कारण पकड़ लिया और उसे उसकी गलती का अहसास करवाया।
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शाम को बुद्धू उल्लू ने अपनी चतुराई से तोताराम को गोंद से बाहर निकाला।
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तोताराम ने अपने दोस्त से वादा किया कि वह भविष्य में लालच में आकर बिना सोचे-समझे कोई काम नहीं करेगा।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि लालच और अहंकार हमें अंधा बना देते हैं और हमें दोस्तों की सलाह को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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कहानी यह भी सिखाती है कि बिना सोचे-समझे लालच में कदम उठाना मुसीबत को न्योता देने के समान है।
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