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जंगल की कहानी में मस्तू नामक एक चालाक बंदर और भोली नामक भोली बकरी का जिक्र है, जो पानी की तलाश में एक सूखे जंगल में भटक रहे थे।
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मस्तू बंदर एक पुराने कुएँ में गिर जाता है और अपनी चालाकी का इस्तेमाल करके भोली को भी कुएँ में छलांग लगाने के लिए मना लेता है।
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भोली कुएँ में कूदने के बाद फँस जाती है, जबकि मस्तू उसकी पीठ पर चढ़कर बाहर निकल जाता है और भोली को धोखा देकर भाग जाता है।
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भोली अपनी हिम्मत और धैर्य से कुएँ से बाहर निकलने में सफल होती है और इस घटना से सीख लेती है कि बिना सोचे-समझे किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
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कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में बुद्धिमानी और सावधानी से काम लेना चाहिए।
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भोली की हिम्मत और समझदारी की जंगल में खूब तारीफ होती है, जबकि मस्तू की चालाकी की कहानी सबको पता चल जाती है।
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कहानी से यह भी शिक्षा मिलती है कि गलतियाँ हमें कमजोर नहीं बनातीं, बल्कि उनसे सीखकर हम और मजबूत बन सकते हैं।
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यह कहानी बच्चों के लिए मनोरंजक और प्रेरणादायक है,
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जो उन्हें सोच-समझकर निर्णय लेने और हिम्मत बनाए रखने के महत्व को बताती है।
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