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कहानी "चालाक सियार और मूर्ख शेर" एक बुद्धिमान सियार और एक बूढ़े, भूखे शेर के बीच की दिलचस्प घटना पर आधारित है।
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बूढ़ा शेर अपने पंजे में काँटा चुभने के कारण शिकार नहीं कर पा रहा था और भूख से परेशान होकर एक सियार की गुफा में छिप गया था।
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चालाक सियार ने गुफा के बाहर शेर के पंजों के निशान देखे और शेर की गंध सूंघकर गुफा में खतरा भांप लिया।
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सियार ने गुफा के बाहर से आवाज लगाकर गुफा से बात करने का नाटक किया, जिससे शेर को लगा कि गुफा बोलती है।
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शेर ने सियार को अंदर बुलाने के लिए गुफा की नकल करते हुए आवाज निकाली, जिससे सियार को शेर की उपस्थिति का पक्का सबूत मिल गया।
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सियार ने शेर की चालाकी को पहचानते हुए वहां से भागने का फैसला किया और शेर को भूखा छोड़ दिया।
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कहानी का संदेश यह है कि ताकत से ज्यादा बुद्धिमत्ता महत्वपूर्ण होती है और सतर्कता से बड़ी से बड़ी मुश्किल को टाला जा सकता है।
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यह कहानी बच्चों और बड़ों को यह सिखाती है कि हर बात पर आंख मूंदकर यकीन नहीं करना चाहिए
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और हमेशा सतर्क और समझदार बने रहना चाहिए।
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