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यह कहानी राजा विक्रम और चतुर चिड़िया चंचल की है, जिसने अपनी बुद्धिमानी से राजा को चार महत्वपूर्ण सबक सिखाए: दुश्मन को न छोड़ना, सोच-समझकर भरोसा करना, बीते समय का पछतावा न करना, और ज्ञान को जीवन में उतारना।
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राजा विक्रम के महल के बगीचे में चंचल नाम की चिड़िया मीठे अंगूर खाती और खट्टे अंगूर फेंक देती थी, जिससे माली रामू परेशान था।
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राजा विक्रम ने चंचल को पकड़ने की ठानी और एक दिन बगीचे में छिपकर उसे पकड़ लिया। चंचल ने राजा को चार ज्ञान की बातें बताने का वादा किया।
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चंचल ने राजा को पहले तीन सबक बताए और चौथे के लिए सांस लेने का बहाना करके हाथ ढीला करवाया और तुरंत उड़ गई।
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चंचल ने राजा को बताया कि उसके पेट में दो कीमती हीरे हैं, जिससे राजा पछताने लगा। चंचल ने कहा कि ज्ञान सुनने से नहीं, अपनाने से फायदा होता है।
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राजा ने महसूस किया कि उसने चंचल को छोड़कर गलती की और उसकी असंभव बात पर भरोसा कर लिया, जिससे उसे पछतावा हुआ।
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चंचल ने राजा को आश्वासन दिया कि वह अब अंगूर कम खाएगी और बगीचे की रक्षा करेगी, जिससे बगीचा और सुंदर हो गया।
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राजा ने बगीचे में तालाब बनवाया, जिससे चंचल और अन्य पक्षियों को पानी मिल सके। बगीचा फलों से लद गया और राजा ने चंचल को अपना मित्र माना।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि ज्ञान तभी लाभकारी होता है जब उसे जीवन में अपनाया जाए। चतुराई और समझदारी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।
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