चतुर चिड़िया का सबक: एक प्रेरक कहानी

Jul 22, 2025, 11:07 AM

चतुर चिड़िया का सबक

यह कहानी राजा विक्रम और चतुर चिड़िया चंचल की है, जिसने अपनी बुद्धिमानी से राजा को चार महत्वपूर्ण सबक सिखाए: दुश्मन को न छोड़ना, सोच-समझकर भरोसा करना, बीते समय का पछतावा न करना, और ज्ञान को जीवन में उतारना।

चतुर चिड़िया का सबक

राजा विक्रम के महल के बगीचे में चंचल नाम की चिड़िया मीठे अंगूर खाती और खट्टे अंगूर फेंक देती थी, जिससे माली रामू परेशान था।

चतुर चिड़िया का सबक

राजा विक्रम ने चंचल को पकड़ने की ठानी और एक दिन बगीचे में छिपकर उसे पकड़ लिया। चंचल ने राजा को चार ज्ञान की बातें बताने का वादा किया।

चतुर चिड़िया का सबक

चंचल ने राजा को पहले तीन सबक बताए और चौथे के लिए सांस लेने का बहाना करके हाथ ढीला करवाया और तुरंत उड़ गई।

चतुर चिड़िया का सबक

चंचल ने राजा को बताया कि उसके पेट में दो कीमती हीरे हैं, जिससे राजा पछताने लगा। चंचल ने कहा कि ज्ञान सुनने से नहीं, अपनाने से फायदा होता है।

चतुर चिड़िया का सबक

राजा ने महसूस किया कि उसने चंचल को छोड़कर गलती की और उसकी असंभव बात पर भरोसा कर लिया, जिससे उसे पछतावा हुआ।

चतुर चिड़िया का सबक

चंचल ने राजा को आश्वासन दिया कि वह अब अंगूर कम खाएगी और बगीचे की रक्षा करेगी, जिससे बगीचा और सुंदर हो गया।

चतुर चिड़िया का सबक

राजा ने बगीचे में तालाब बनवाया, जिससे चंचल और अन्य पक्षियों को पानी मिल सके। बगीचा फलों से लद गया और राजा ने चंचल को अपना मित्र माना।

चतुर चिड़िया का सबक

कहानी से यह सीख मिलती है कि ज्ञान तभी लाभकारी होता है जब उसे जीवन में अपनाया जाए। चतुराई और समझदारी से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।