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यह कहानी मीना नाम की एक छोटी लाल टर्की की है, जो मेहनती और दृढ़ निश्चयी है। उसने खेत में मिले गेहूं के दानों को अकेले बोया, काटा, पीसा और रोटियाँ बनाई।
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मीना के तीन आलसी दोस्त, कुत्ता भोला, बत्तख चंचल और बकरी बबीता, हर काम में बहाने बनाते रहे और मदद नहीं की।
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मीना ने बिना किसी की मदद के फसल उगाई और उसका सारा काम अकेले किया, जिससे उसे मेहनत का फल मिला।
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जब रोटियाँ तैयार हुईं, तो दोस्तों ने उन्हें खाने की इच्छा जताई, लेकिन मीना ने कहा कि चूंकि उसने सारी मेहनत की है, इसलिए रोटियाँ सिर्फ वही खाएगी।
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दूसरी फसल के समय भी दोस्तों ने मदद करने से मना कर दिया, लेकिन मीना ने फिर से अकेले मेहनत की और इस बार अपनी मेहनत का फल अपने परिवार के साथ बांटा।
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कहानी का मूल संदेश यह है कि मेहनत और लगन से ही सफलता मिलती है
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और दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय अपने प्रयासों पर भरोसा करना चाहिए।
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यह कहानी बच्चों को मेहनत, आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी की भावना सिखाने के लिए प्रेरणादायक है।
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माता-पिता को अपने बच्चों को ऐसी कहानियाँ सुनानी चाहिए जो उन्हें जीवन में मेहनत और नैतिकता का महत्व समझाएं।
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