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कहानी "ज़िंदगी की चाह" में दो बीमार व्यक्ति एक ही अस्पताल के कमरे में रहते थे, जिनमें से एक का बिस्तर खिड़की के पास था और उसे हर दोपहर एक घंटे बैठने की सलाह दी गई थी।
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खिड़की के पास बैठा व्यक्ति बाहर के सुंदर दृश्य जैसे झील, बत्तखें, बच्चे और परेड का वर्णन करता था, जिससे दूसरा व्यक्ति अपनी कल्पना में इन्हें जीने लगता था।
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एक दिन खिड़की के पास वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई, और दूसरे व्यक्ति ने उसकी जगह ली, लेकिन खिड़की के बाहर केवल दीवार थी।
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नर्स ने बताया कि मृत व्यक्ति नेत्रहीन था और उसने ये सब दृश्य दूसरे व्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए बताया था।
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कहानी का उपदेश है कि दूसरों को खुशी देना सबसे बड़ी नेकी है
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और अपने दुखों को भूलकर दूसरों के लिए कुछ अच्छा करना सच्ची खुशी देता है।
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जब हम खुशियाँ बाँटते हैं, तो वे दोगुनी हो जाती हैं। हमें उन चीज़ों की कद्र करनी चाहिए
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जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकतीं, जैसे प्यार, उम्मीद और समय।
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कहानी यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद दूसरों को प्रेरित करना और खुशी देना महत्वपूर्ण है।
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